महराजगंज में फर्जी प्रमाण पत्र से नौकरी घोटाला

महराजगंज में फर्जी प्रमाण पत्र से नौकरी घोटाला

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एक के बाद एक शिक्षकों पर लगे आरोप, BSA कार्यालय और खंड शिक्षा अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध

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महराजगंज। जनपद महराजगंज में बेसिक शिक्षा विभाग फर्जीवाड़े के गंभीर आरोपों से घिरता जा रहा है। हाल के दिनों में सामने आए मामलों ने पूरे जिले में हड़कंप मचा दिया है। आरोप है कि कई शिक्षक जाली डिग्री और फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर वर्षों से नौकरी कर रहे हैं और असली हकदार अभ्यर्थियों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) कार्यालय और खंड शिक्षा अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह संभव ही नहीं है।

पहला मामला – कृष्ण कुमार गौड़

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निचलौल तहसील के कम्पोजिट विद्यालय धमउर में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत श्री कृष्ण कुमार गौड़ पुत्र शम्भू शरण पर फर्जी अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने का आरोप है। शिकायतकर्ता शिवम पुत्र दिनेश ने आईजीआरएस संदर्भ संख्या 40018725015431 दिनांक 28.06.2025 पर शिकायत दर्ज कराई। तहसील स्तर की रिपोर्ट में पाया गया कि कृष्ण कुमार वास्तव में कहार (पिछड़ी जाति) से आते हैं। इसके बावजूद उन्होंने स्वयं को अनुसूचित जनजाति दर्शाकर नौकरी हासिल की।

मामले की जांच खंड शिक्षा अधिकारी निचलौल आनंद कुमार मिश्र को सौंपी गई। 7 जुलाई 2025 को दी गई आख्या में उन्होंने कहा कि प्रमाण पत्र का अंतिम सत्यापन जिलाधिकारी स्तर से ही संभव है। इसके आधार पर BSA महराजगंज ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर प्रमाण पत्र सत्यापन का अनुरोध किया।

दूसरा मामला – शैलेश गौड़

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इसी विद्यालय से जुड़ा दूसरा मामला शैलेश गौड़ पुत्र गनेश का है। उन पर भी यही आरोप है कि उन्होंने फर्जी ST प्रमाण पत्र बनवाकर सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति प्राप्त की। आईजीआरएस शिकायत संख्या 40018725015434 दिनांक 28.06.2025 में शिकायतकर्ता ने स्पष्ट किया कि आरोपी वास्तव में कहार जाति से हैं। तहसील की जांच रिपोर्ट ने भी इस आरोप की पुष्टि की।

BSA कार्यालय ने 11 जुलाई 2025 को पत्रांक 1107/72/2025-26 जारी कर जिलाधिकारी से प्रमाण पत्र और शैक्षिक अभिलेखों का सत्यापन कराने का अनुरोध किया। लेकिन अभी तक अंतिम कार्रवाई लंबित है।

तीसरा मामला – सरिता गौड़

सूत्रों के अनुसार, तीसरा मामला सरिता गौड़ का है, जिन पर भी फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी पाने का आरोप है। यद्यपि इस मामले की विस्तृत जांच अभी जारी है, लेकिन प्राथमिक स्तर पर सामने आए तथ्यों ने संदेह और गहरा कर दिया है।

विभागीय मिलीभगत के आरोप

स्थानीय लोगों का कहना है कि इन मामलों में BSA कार्यालय के बाबू यशवंत सिंह और कुछ खंड शिक्षा अधिकारी सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। उनकी शह पर ही फर्जी दस्तावेजों वाले शिक्षक सुरक्षित रहते हैं। यदि उच्चस्तरीय जांच हो तो और कई नाम सामने आ सकते हैं।

जनता का आक्रोश और मांगें

शिक्षित बेरोजगार युवाओं और अभिभावकों में गहरी नाराजगी है। उनका कहना है कि –

1. सभी शिक्षकों के जाति और शैक्षिक प्रमाण पत्रों का थर्ड पार्टी सत्यापन कराया जाए।

2. दोषी अधिकारियों और बाबुओं पर आपराधिक मुकदमा दर्ज हो।

3. फर्जी प्रमाण पत्र से नौकरी पाने वाले शिक्षकों की सेवा तत्काल समाप्त की जाए।

 

महराजगंज जिले का यह घोटाला केवल शिक्षा विभाग की साख पर ही प्रश्नचिन्ह नहीं है, बल्कि यह भ्रष्टाचार और मिलीभगत की जड़ें भी उजागर करता है। असली सवाल यह है कि जब तक जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं होगी, तब तक ऐसे फर्जीवाड़े थमने वाले नहीं हैं। अब निगाहें जिलाधिकारी और शासन पर टिकी हैं कि वे इन मामलों में कितनी गंभीरता और पारदर्शिता से कदम उठाते हैं।

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