महराजगंज में फर्जी जाति प्रमाण पत्र से नौकरी पाने वाले शिक्षकों पर बवाल

महराजगंज में फर्जी जाति प्रमाण पत्र से नौकरी पाने वाले शिक्षकों पर बवाल

लिपिक व अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप, राजकोष को पहुंचा करोड़ों का नुकसान

महराजगंज। जनपद महराजगंज का बेसिक शिक्षा विभाग एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है। निचलौल तहसील के कम्पोजिट विद्यालय घमऊर में कार्यरत दो शिक्षकों पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने का आरोप गंभीर रूप से सामने आया है। शिकायत के अनुसार, श्री कृष्ण कुमार गौड़ पुत्र शम्भू शरण और शैलेश गौड़ पुत्र गनेश, जो मूल रूप से पिछड़ी जाति “कहाँर” से आते हैं, ने अनुसूचित जनजाति का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर शिक्षक पद हासिल किया।

सूत्रों के अनुसार, इस मामले की संस्तुति खण्ड शिक्षा अधिकारी निचलौल द्वारा 7 जुलाई 2025 को प्रमाण पत्र सत्यापन हेतु की गई थी, लेकिन कार्यालय के लिपिक यशवंत सिंह पर आरोप है कि उन्होंने मोटी रकम लेकर इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। इससे न केवल योग्य अभ्यर्थियों का हक मारा गया, बल्कि शासन की छवि पर भी आंच आई।

मामला तब और गंभीर हो गया जब हाल ही में प्रधानाध्यापक दुर्गेश पाण्डेय की सेवा समाप्ति का आदेश शिक्षा निदेशक बेसिक, लखनऊ द्वारा जारी किया गया। इसके बावजूद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी महराजगंज के पत्र के बाद भी 1 सितम्बर 2025 को उनके खाते में वेतन भेज दिया गया। इसे सीधे-सीधे राजकोष की क्षति माना जा रहा है।

सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों का आरोप है कि बेसिक शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचारियों की एक मजबूत जड़ें जमी हुई हैं, जो फर्जी प्रमाण पत्र धारकों को बचाने का काम कर रही हैं।

जनपद में उठे इस नए विवाद ने शिक्षा विभाग की कार्यशैली और अधिकारियों की जवाबदेही पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह होगा कि शासन स्तर पर इस पूरे मामले में कब तक कार्रवाई होती है और दोषियों पर क्या शिकंजा कसा जाता है।

error: Content is protected !!