सिसवा विधानसभा की उपेक्षित सड़क बनी परेशानी का सबब

सिसवा विधानसभा की उपेक्षित सड़क बनी परेशानी का सबब

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आठ साल की भाजपा सरकार और 204 पत्रों के बावजूद नहीं बना 900 मीटर का रास्ता, बीमारों व बच्चों को उठानी पड़ रही है भारी मुश्किलें

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महराजगंज।
जनपद महराजगंज के सिसवा ब्लॉक अंतर्गत कारीडीहा चौक से कमता-जहदा तक की सड़क निर्माण की मांग अब स्थानीय जनता के लिए आंदोलन का रूप ले चुकी है। यह सड़क किशुनपुर, मुंडेरा, नेटुरी, सुगौली, बरवा पंडीत, सेमरी, घोडनर समेत कई गांवों को जोड़ती है। लगभग 20,000 की आबादी के लिए यह सड़क जीवनरेखा है, लेकिन पिछले 34 वर्षों से न तो इसका मरम्मत कार्य हुआ और न ही पुनर्निर्माण।

स्थानीय लोगों के अनुसार, इस सड़क की कुल लंबाई लगभग 900 मीटर है। छोटी सी दूरी होने के बावजूद इस पर सरकार और विभागों की उदासीनता जनता को नाराज कर रही है।

204 पत्र, सैकड़ों प्रार्थना पत्र – फिर भी नतीजा शून्य

पूर्व ज्येष्ठ उप प्रमुख एवं भाजपा के पूर्व जिला मंत्री संजय कुमार पांडेय ने बताया कि उन्होंने सड़क निर्माण को लेकर अब तक 204 पत्र विभिन्न स्तरों पर दिए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय लखनऊ और गोरखपुर तक प्रार्थना पत्र भेजे गए, तहसील दिवसों में बार-बार आवाज उठाई गई, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी।

सिर्फ इतना ही नहीं, इस मामले में क्षेत्र के एमएलसी माननीय सीपी चंद एवं विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह ने भी पत्र लिखकर सड़क निर्माण की अनुशंसा की। यहां तक कि जिलाधिकारी महोदय के आदेश पर ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभाग ने सड़क का प्राक्कलन तैयार कर जिलाधिकारी को प्रेषित भी किया, लेकिन यह अब तक स्पष्ट नहीं हो सका कि सड़क किस विभाग को स्थानांतरित की गई है।

जनता की पीड़ा – बीमार, गर्भवती महिलाएं और बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित

ग्रामीणों का कहना है कि बरसात में सड़क की हालत और खराब हो जाती है। बीमार व्यक्तियों और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाना मुश्किल हो जाता है। स्कूली बच्चों को कीचड़ और गड्ढों से होकर गुजरना पड़ता है। वहीं, गन्ना किसानों को अपनी उपज चीनी मिलों तक पहुंचाने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

स्थानीय निवासी संजय पांडेय का कहना है कि “डबल इंजन की सरकार में उम्मीद थी कि यह सड़क जरूर बनेगी, लेकिन आज भी यह अधूरी पड़ी है। जनता की समस्याओं को नज़रअंदाज़ करना कहां तक उचित है?”

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ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के आठ साल बीत जाने के बाद भी इस सड़क पर ध्यान नहीं दिया गया। चुनावी वादों में सड़क को प्राथमिकता देने की बात कही गई थी, लेकिन आज तक केवल आश्वासन ही मिले हैं।

क्या जिम्मेदारों की जिम्मेदारी का एहसास दिलाने के लिए जनता उठाएं सोंटा ?

करीब तीन दशक से उपेक्षित इस सड़क ने अब क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या का रूप ले लिया है। जनता का कहना है कि जब तक सड़क का निर्माण नहीं होगा, तब तक वे आंदोलन जारी रखेंगे। सवाल यह है कि जब 20,000 की आबादी प्रभावित है और 204 से अधिक पत्र शासन-प्रशासन तक पहुंच चुके हैं, तो आखिर किस वजह से सड़क निर्माण का काम लटका हुआ है?

 

👉 यह सड़क केवल गांवों को जोड़ने का साधन नहीं, बल्कि हजारों लोगों के जीवन से जुड़ा हुआ मुद्दा है। अब देखना यह होगा कि शासन-प्रशासन कब इस पर संज्ञान लेकर ठोस कार्रवाई करता है।

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