महराजगंज: 35 साल बाद भी विकास का प्रश्न, जिम्मेदार कौन?
सांसद और वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के व्यक्तिगत संस्थानों का विकास, लेकिन महराजगंज का विकास अभी भी प्रतीक्षारत
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महराजगंज जिले का इतिहास 1989 में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आया जब इसे 2 अक्टूबर को गोरखपुर से अलग करके एक स्वतंत्र जिला घोषित किया गया। कांग्रेस के उस समय के मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीर बहादुर सिंह और सांसद जितेंद्र सिंह के प्रयासों से महराजगंज को यह नई पहचान मिली। इसके साथ ही नौतनवा और निचलौल को तहसील का दर्जा दिया गया। इसके बाद से इस जिले की जनता विकास की उम्मीदों के साथ जी रही थी, लेकिन 35 साल बीत जाने के बाद भी वह सवाल वहीं खड़ा है—इस जिले का विकास क्यों अधूरा रह गया?
समाजसेवी विनोद तिवारी का कहना है कि महराजगंज जिले का विकास न के बराबर है, जबकि यहां से चुने गए सांसद और वर्तमान वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने अपने व्यक्तिगत व्यवसायिक साम्राज्य को देश-विदेश में फैला लिया है। उज्जवल ग्रीन पावर लिमिटेड, जिसके डायरेक्टर उनकी बहू श्रीमती तानिया चौधरी हैं, और उज्जवल चौधरी एजुकेशन ट्रस्ट, जिसकी मुख्य ट्रस्टी उनकी पत्नी श्रीमती भाग्यश्री चौधरी हैं, जैसे संस्थानों के नाम पर चौधरी परिवार ने अपनी संपत्ति और विकास को प्रगति दी है।
विकास की तस्वीर: महराजगंज बनाम व्यक्तिगत उन्नति
1989 के बाद से महराजगंज में किसी भी सरकार ने बड़े स्तर पर विकास की योजनाएं लागू नहीं कीं। कांग्रेस के बाद से यहां कोई उद्योग स्थापित नहीं हुआ और न ही युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाए गए। महराजगंज के नौजवान रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों और महानगरों की ओर पलायन करने को मजबूर हैं। यहाँ तक कि स्थानीय स्तर पर कोई बड़ी फैक्ट्री या कल-कारखाना नहीं लगाया गया जिससे लोगों को रोजगार मिल सके।
इसके विपरीत, सांसद पंकज चौधरी और उनके परिवार के व्यापारिक संस्थान फल-फूल रहे हैं। समाजसेवी विनोद तिवारी के अनुसार, चौधरी परिवार ने देश और विदेश में अपना व्यवसायिक साम्राज्य खड़ा किया है, जबकि महराजगंज का विकास अभी भी अधूरा है। उज्जवल ग्रीन पावर लिमिटेड और उज्जवल चौधरी एजुकेशन ट्रस्ट जैसे संस्थान चौधरी परिवार के निजी संपत्ति में वृद्धि का उदाहरण हैं, लेकिन महराजगंज जिले की हालत आज भी जस की तस है।
कांग्रेस के समय से शुरू हुई उपेक्षा
महराजगंज को जिला बनाने के बाद कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई, और उसके बाद यहां की राजनीति जाति और धर्म के मुद्दों पर केंद्रित हो गई। विकास के मुद्दे हाशिये पर चले गए। महराजगंज में मूलभूत सुविधाओं की कमी आज भी एक गंभीर समस्या है। सड़कों की हालत, बिजली की समस्या, और जल प्रबंधन के अभाव ने इस जिले के विकास की गति को धीमा कर दिया है।
कांग्रेस के बाद जितनी भी सरकारें आईं, उन्होंने महराजगंज के विकास पर ध्यान नहीं दिया। सांसद पंकज चौधरी, जो पिछले सात बार से यहां का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और दो बार केंद्र सरकार में मंत्री रहे हैं, उनके कार्यकाल में भी यहां कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ।
महोत्सवों से विकास का आभास
महराजगंज जिले में समय-समय पर महोत्सवों का आयोजन होता रहता है, जिससे यह आभास देने की कोशिश की जाती है कि यहां विकास हो रहा है। लेकिन महोत्सवों से विकास के ठोस कदम नहीं उठाए जा सकते। महोत्सवों से लोगों का ध्यान असली मुद्दों से हटाया जाता है, जबकि रोजगार, उद्योग और बुनियादी ढांचे का विकास आज भी आवश्यक है।
समाजसेवी विनोद तिवारी का कहना है कि महराजगंज की जनता को यह जानने का हक है कि 1989 में जिला बनने के बाद से अब तक यहां के विकास के लिए कौन से ठोस कदम उठाए गए हैं।
अंतिम सवाल: जवाबदेही किसकी?
महराजगंज की जनता को आज यह जानने की आवश्यकता है कि यहां का विकास क्यों नहीं हुआ? क्या इसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार है जिसने इसे जिला बनाया, या फिर वे नेता जो पिछले 35 सालों से यहां की राजनीति में छाए हुए हैं?
यह सवाल अब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि महराजगंज के विकास की गति बहुत धीमी रही है, जबकि यहां के सांसद और वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने अपने निजी व्यापारिक साम्राज्य का विस्तार किया है। क्या इस जिले का विकास उनकी प्राथमिकता है, या फिर केवल निजी संस्थानों और संपत्तियों का विस्तार ही उनका उद्देश्य है?
महराजगंज की जनता को अब इन सवालों के जवाब चाहिए, और यह जवाबदेही किस पर होगी—यह एक बड़ा प्रश्न बनकर सामने खड़ा है।