ई-स्वराज पोर्टल से हुआ घुघली और सिसवा ब्लॉक में भ्रष्टाचार का खुलासा

बिलों का पर्दाफाश, अधिकारियों ने दिए जांच के आदेश, ग्राम पंचायतों में पारदर्शिता पर फिर उठे सवाल

महराजगंज ,7 अक्टूबर 2024: ई-स्वराज पोर्टल पर हुए खुलासों से घुघली और सिसवा ब्लॉक की ग्राम पंचायतों में चल रहे भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है। पोर्टल पर अपलोड किए गए संदिग्ध बिलों के माध्यम से ग्राम पंचायतों में लाखों रुपये के फर्जी भुगतान की खबर ने ग्रामीण विकास के लिए आई सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अधिकारियों ने इन मामलों की जांच के आदेश दे दिए हैं और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की बात कही है।
घुघली ब्लॉक: भुवनी ग्राम सभा का संदिग्ध भुगतान
घुघली ब्लॉक के भुवनी ग्राम सभा में हाल ही में फर्जी बिल का मामला सामने आया है, जिसने ग्राम पंचायतों में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर किया है। ई-स्वराज पोर्टल पर अपलोड किए गए एक बिल में दिनांक रहित भुगतान पाया गया। इस मामले की सूचना मिलते ही जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) ने त्वरित कार्रवाई करते हुए ग्राम प्रधान और सचिव को तीन दिनों के अंदर स्पष्टीकरण देने का नोटिस जारी किया है।
डीपीआरओ के अनुसार, “ग्राम पंचायतों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ई-स्वराज पोर्टल की मदद ली जा रही है। इस तरह के फर्जी भुगतान सामने आना गंभीर मामला है और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
भुवनी ग्राम सभा के इस फर्जी भुगतान मामले ने यह साबित किया है कि कई बार सरकारी योजनाओं के नाम पर धनराशि का दुरुपयोग हो रहा है। अधिकारियों द्वारा किए जा रहे त्वरित कार्रवाई के बावजूद ग्रामीण विकास की परियोजनाओं में हो रहे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए और कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।
सिसवा ब्लॉक: रुदलापुर में फर्जी बिल का खुलासा
Oplus_131072घुघली ब्लॉक के बाद सिसवा ब्लॉक के रुदलापुर ग्राम सभा में भी फर्जी बिल का बड़ा मामला सामने आया है। ई-स्वराज पोर्टल पर जांच के दौरान पता चला कि 6 जुलाई 2024 को एक बिल का भुगतान किया गया, जिसमें 10,300 रुपये कुर्सी और जनरेटर के लिए निर्वाचन के नाम पर खर्च दर्शाया गया था। यह भुगतान “कंचन इंटरप्राइजेज” नामक फर्म के माध्यम से किया गया, लेकिन जांच में ई- ग्राम स्वराज पोर्टल में इस भुगतान को संदिग्ध पाया गया। ई- ग्राम स्वराज पोर्टल पर ग्राम सभा हरपुर पकड़ी के नाम पर 8,29,297 रुपये का बिल पोर्टल पर अपलोड पाया गया, जो फर्जीवाड़ा को प्रदर्शित करने के लिए पर्याप्त है।
सचिव और अधिकारियों का पक्ष
इस गड़बड़ी पर जब ग्राम सभा के सचिव नीरज सिंह से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि मामले की जांच की जाएगी। हालांकि, यह अजीब था कि जिस दिन भुगतान किया गया, उसी दिन तक सचिव को इस गड़बड़ी की जानकारी नहीं थी। वहीं, एडीओ पंचायत सिसवा ने कहा कि शिकायत मिलने पर वे कार्रवाई करेंगे। सिसवा के वीडीओ ने भी इस मामले को पंचायती राज विभाग का मामला बताते हुए कहा कि संबंधित विभाग द्वारा ही जांच की जाएगी।
भ्रष्टाचार पर फिर उठे सवाल
ग्राम पंचायतों में हो रही इन फर्जी बिलों की घटनाओं ने एक बार फिर से पंचायती राज व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ई-स्वराज पोर्टल को पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लाया गया था, लेकिन इस तरह के भ्रष्टाचार के मामले सामने आने से इसकी प्रभावशीलता पर भी सवाल उठने लगे हैं। यह स्पष्ट है कि फर्जी बिलों के माध्यम से सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है और यह ग्रामीण विकास के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
आगे की कार्रवाई
अधिकारियों ने इन मामलों की गहन जांच के आदेश दिए हैं। डीपीआरओ ने कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और मामले में शामिल सभी लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। ग्राम प्रधानों और सचिवों को भी अपनी जिम्मेदारी समझने और भ्रष्टाचार से दूर रहने की चेतावनी दी गई है।
हालांकि, इन खुलासों ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सरकारी योजनाओं और विकास परियोजनाओं के क्रियान्वयन में सचमुच पारदर्शिता है? ग्राम पंचायतों में इस तरह के भ्रष्टाचार को रोकने के लिए और अधिक मजबूत तंत्र की आवश्यकता है, ताकि सरकारी धन का सही उपयोग हो सके और ग्रामीण क्षेत्रों का समुचित विकास हो।
ई-स्वराज पोर्टल के माध्यम से घुघली और सिसवा ब्लॉक में फर्जी बिलों का खुलासा ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे भ्रष्टाचार की गंभीरता को दर्शाता है। इन मामलों की जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई से ही यह संभव हो सकेगा कि भविष्य में ग्राम पंचायतों में पारदर्शिता बनी रहे। अब देखने वाली बात होगी कि अधिकारी इस मामले में क्या ठोस कदम उठाते हैं और भ्रष्टाचार पर कैसे रोक लगाते हैं।