जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणाम: बीजेपी का हरियाणा में तीसरी बार जीत का परचम, जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन की बढ़त
हरियाणा में बीजेपी ने रचा इतिहास, तीसरी बार सरकार बनाने की ओर; जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन ने भाजपा को दिया कड़ा मुकाबला
आज के विधानसभा चुनाव परिणामों में हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में दिलचस्प मुकाबले देखने को मिले हैं। जहां हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करने की ओर कदम बढ़ाया है, वहीं जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और कांग्रेस का गठबंधन बीजेपी को कड़ी टक्कर देता नजर आया।
हरियाणा: बीजेपी की जीत की हैट्रिक
हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी ने 48 सीटों पर जीत दर्ज कर सत्ता पर तीसरी बार काबिज होने की तैयारी कर ली है। राज्य में कुल 46 सीटों की बहुमत सीमा को पार करते हुए बीजेपी ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया, जिससे साफ हो गया कि पार्टी राज्य में मजबूत पकड़ बनाए हुए है। कांग्रेस 37 सीटों पर जीत हासिल कर मुख्य विपक्षी दल बनी है। यह नतीजे इस बात का संकेत हैं कि हरियाणा में गैर-जाट वोट बैंक पर बीजेपी की पकड़ और उसका दलित एवं पिछड़ी जातियों पर ध्यान देना उसकी जीत का बड़ा कारण रहा है।
इस चुनाव में कांग्रेस के लिए उम्मीद की जा रही थी कि वह सत्ता में वापसी करेगी, खासकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में। लेकिन पार्टी की कुछ रणनीतिक गलतियों, जैसे कि दलित नेता कुमारी शैलजा को नजरअंदाज करना, उसे भारी पड़ा। बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार नायब सिंह सैनी ने ओबीसी समुदाय के समर्थन से चुनाव में पार्टी की जीत सुनिश्चित की।
जम्मू-कश्मीर: कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन की मजबूत पकड़
जम्मू-कश्मीर की 90 सीटों पर हो रहे चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और कांग्रेस गठबंधन ने 48 सीटें जीतकर बीजेपी को पीछे छोड़ दिया है। यह चुनाव इस दृष्टि से महत्वपूर्ण थे कि यह अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर के पहले विधानसभा चुनाव थे। कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन ने मिलकर जम्मू-कश्मीर में बीजेपी को कड़ा मुकाबला दिया, खासकर कश्मीर घाटी में, जहां बीजेपी का प्रदर्शन उम्मीद से काफी कम रहा।
बीजेपी ने जम्मू क्षेत्र में प्रभावशाली प्रदर्शन करते हुए 29 सीटें जीतीं, लेकिन कश्मीर घाटी में उसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने सिर्फ तीन सीटें जीतीं। कश्मीर घाटी में भाजपा का खराब प्रदर्शन इस बात की ओर इशारा करता है कि पिछले पांच सालों में केंद्र सरकार के ‘नया कश्मीर’ के वादे का जमीनी स्तर पर असर कम ही रहा।
दोनों राज्यों के लिए क्या मायने रखते हैं ये चुनाव?
हरियाणा में बीजेपी की तीसरी बार सत्ता में वापसी इस बात का प्रतीक है कि राज्य में बीजेपी ने जाट समुदाय से इतर जातियों में मजबूत पकड़ बनाई है, जिससे पार्टी का जनाधार व्यापक हुआ है। दूसरी ओर, कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा, लेकिन चुनावी रणनीतियों में कुछ कमजोरियों के कारण उसे सत्ता से दूर रहना पड़ा।
वहीं जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस का गठबंधन एक बड़े बदलाव का संकेत है, जहां भाजपा को चुनौती देने के लिए क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दलों ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा। कश्मीर घाटी में बीजेपी के लिए समर्थन में कमी इस बात को दर्शाती है कि अनुच्छेद 370 को हटाने का मुद्दा मतदाताओं के लिए निर्णायक साबित नहीं हुआ।
इन चुनावों से स्पष्ट होता है कि दोनों राज्यों में राजनीतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है और आने वाले समय में यह बदलाव भारतीय राजनीति को गहराई से प्रभावित कर सकते हैं।