सिद्धार्थनगर में जल जीवन मिशन में अनियमितताएं: TPI टीम पर लगे गुणवत्ता में लापरवाही के आरोप

सिद्धार्थनगर में जल जीवन मिशन में अनियमितताएं: TPI टीम पर लगे गुणवत्ता में लापरवाही के आरोप

Fichtner India के अंतर्गत काम, DPM चंद्रशेखर सिंह पर आरोप, गुणवत्ता की अनदेखी से ग्रामीणों में आक्रोश

सिद्धार्थनगर, उत्तर प्रदेश – सिद्धार्थनगर जिले में जल जीवन मिशन के अंतर्गत हो रहे कार्यों में अनियमितताएं और गुणवत्ता में लापरवाही के गंभीर आरोप सामने आए हैं। इस मिशन का उद्देश्य हर घर तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाना है, लेकिन इस परियोजना में गुणवत्तापूर्ण कार्य सुनिश्चित करने के लिए तैनात TPI (थर्ड-पार्टी इंस्पेक्शन) टीम पर भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोप लगे हैं। Fichtner India की देखरेख में चल रहे इस प्रोजेक्ट में जिले के DPM (डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट मैनेजर) चंद्रशेखर सिंह के नेतृत्व में कार्य संचालित हो रहा है, लेकिन शिकायतें हैं कि गुणवत्ता की बजाय पैसों की लेन-देन को प्राथमिकता दी जा रही है।

गुणवत्ता की जगह भ्रष्टाचार को दी जा रही प्राथमिकता

जल जीवन मिशन के अंतर्गत जिले के कई गांवों में पाइपलाइन बिछाने, पानी की टंकी निर्माण और वितरण व्यवस्था का कार्य किया जा रहा है। लेकिन स्थानीय निवासियों और ठेकेदारों ने शिकायत की है कि निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का उपयोग हो रहा है। विभागीय स्तर पर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए तैनात TPI टीम का मुख्य उद्देश्य हर स्तर पर काम की निगरानी करना और मानकों के अनुरूप गुणवत्ता सुनिश्चित करना था। लेकिन आरोप हैं कि DPM चंद्रशेखर सिंह की टीम केवल पैसों की उगाही में जुटी हुई है।

एक स्थानीय ठेकेदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “काम में अगर हम सही क्वालिटी का इस्तेमाल करना भी चाहें तो TPI टीम के अफसर दबाव डालते हैं कि पैसा दो, नहीं तो तुम्हारा काम रोक दिया जाएगा। ऐसे में या तो हमें नुकसान उठाना पड़ता है या खराब क्वालिटी का सामान इस्तेमाल करना पड़ता है।”

ग्रामीणों का बढ़ता असंतोष

गांवों में पाइपलाइन कार्य में हो रही लापरवाही के चलते कई जगहों पर पाइप फटने की शिकायतें आ रही हैं, जिससे पानी की आपूर्ति बाधित हो रही है। कुछ स्थानों पर टंकियों के निर्माण में घटिया सीमेंट और सामग्री का उपयोग होने से संरचनाएं कमजोर दिखाई दे रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर यही स्थिति रही तो जल जीवन मिशन का उद्देश्य कभी पूरा नहीं हो सकेगा।

“सरकार का उद्देश्य अच्छा है, लेकिन काम की गुणवत्ता पर ध्यान न देने से हमारा भरोसा टूट रहा है,” एक स्थानीय निवासी ने कहा। “पानी की टंकी अभी बनी भी नहीं है और दीवारों में दरारें आनी शुरू हो गई हैं। अगर अधिकारी पैसे के लालच में ऐसे ही काम करते रहे तो भविष्य में यह प्रोजेक्ट पूरी तरह विफल हो जाएगा।”

विभागीय अधिकारियों पर भी सवाल

TPI टीम की देखरेख में चल रहे इन कार्यों पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि विभागीय अधिकारी लगातार शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। कई जगहों पर निरीक्षण के दौरान केवल औपचारिकताएं निभाई जा रही हैं, जिससे भ्रष्टाचार को और बढ़ावा मिल रहा है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच मिलीभगत के चलते खराब गुणवत्ता वाले काम पर आंखें मूंदी जा रही हैं।

प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग

इस पूरे मामले को लेकर ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि जल जीवन मिशन का उद्देश्य तभी पूरा होगा जब गुणवत्तापूर्ण कार्य होगा और हर घर को साफ पानी उपलब्ध कराया जाएगा।

स्थानीय विधायक ने भी इस मामले पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “हम सरकार से मांग करते हैं कि जल्द से जल्द इस परियोजना की जांच कराई जाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। अगर काम में पारदर्शिता नहीं होगी, तो इसका खामियाजा सीधे जनता को भुगतना पड़ेगा।”

DPM का पक्ष

DPM चंद्रशेखर सिंह से इस मामले पर संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने किसी भी तरह की अनियमितता से इनकार किया। उनका कहना है कि “हमारी टीम पूरी ईमानदारी से काम कर रही है और हर प्रोजेक्ट की नियमित रूप से जांच की जाती है। अगर किसी के पास कोई शिकायत है, तो हम उस पर कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं।”

जल जीवन मिशन पर खतरा

जल जीवन मिशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य 2024 तक हर घर को नल से जल पहुंचाना है। इस परियोजना के तहत देश के हर गांव में स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी है। लेकिन अगर भ्रष्टाचार और लापरवाही इसी तरह जारी रही, तो मिशन अपने लक्ष्य से काफी पीछे रह सकता है।

निष्कर्ष

सिद्धार्थनगर में जल जीवन मिशन के अंतर्गत हो रहे कार्यों में लापरवाही और भ्रष्टाचार की शिकायतें चिंताजनक हैं। यदि समय रहते इन अनियमितताओं पर रोक नहीं लगाई गई, तो इसका सीधा असर न केवल ग्रामीणों के जीवन पर पड़ेगा, बल्कि सरकार की योजनाओं पर भी सवाल उठेंगे। जनता की मांग है कि जिला प्रशासन इस मामले में सख्त कार्रवाई करे ताकि योजना का लाभ हर घर तक पहुंच सके।