सारनाथ से रामग्राम तक: धम्म चरिता पदयात्रा ने बौद्ध संस्कृति को दिया नया आयाम

सारनाथ से रामग्राम तक: धम्म चरिता पदयात्रा ने बौद्ध संस्कृति को दिया नया आयाम

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करुणा, अहिंसा और मैत्री के संदेश के साथ ऐतिहासिक आयोजन

महराजगंज, रामग्राम:
भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करते हुए सारनाथ से शुरू हुई धम्म चरिता पदयात्रा बौद्ध संस्कृति और धर्म के प्रचार-प्रसार का प्रतीक बन गई है। यह पदयात्रा महराजगंज जनपद के रामग्राम पहुंचकर एक ऐतिहासिक पड़ाव पर आ रुकी, जहां श्रद्धालुओं और बौद्ध भिक्षुओं ने इसे आध्यात्मिक और सामाजिक चेतना से परिपूर्ण बना दिया।

बौद्ध भिक्षुओं का अनुशासन और करुणा का प्रदर्शन

*बुद्धम् शरणं गच्छामि*

*Pardafash news 24×7

धम्म पदयात्रा का नेतृत्व बौद्ध भिक्षुओं ने किया, जिन्होंने करुणा, अहिंसा और मैत्री के मूल सिद्धांतों के प्रचार का संदेश दिया। इस पदयात्रा में हजारों बौद्ध अनुयायियों ने सहभागिता की और इसे एक गौरवमयी आयोजन का स्वरूप दिया। श्रद्धालुओं ने भिक्षुओं के अनुशासित और शांतिपूर्ण कदमों से प्रेरणा लेकर बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांतों को आत्मसात किया।

रामग्राम में बौद्ध भिक्षुओं और श्रद्धालुओं का भव्य स्वागत किया गया। लोगों ने फूलों की वर्षा और पारंपरिक रीति-रिवाजों से भिक्षुओं का सम्मान व्यक्त किया। इस स्वागत ने न केवल धार्मिक महत्व को बढ़ावा दिया बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच सामंजस्य का संदेश भी दिया।

रामग्राम का ऐतिहासिक महत्व

रामग्राम स्थित बौद्ध स्तूप बौद्ध धर्म की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है। यह स्तूप, जिसे महात्मा बुद्ध के अवशेषों का रक्षक माना जाता है, श्रद्धालुओं के लिए आस्था और प्रेरणा का केंद्र बन गया है। पदयात्रा के दौरान भिक्षुओं ने बौद्ध स्तूप की पूजा-अर्चना और वंदना की, जिससे इस आयोजन को और अधिक आध्यात्मिकता प्राप्त हुई।

स्थानीय लोग भी इस आयोजन में बड़ी संख्या में शामिल हुए। उन्होंने न केवल बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को सुना और समझा, बल्कि अपने जीवन में उन्हें अपनाने का संकल्प भी लिया।

धम्म के मूल सिद्धांतों का प्रसार

धम्म चरिता पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांतों- करुणा, अहिंसा और मैत्री का प्रचार-प्रसार करना है। भिक्षुओं के माध्यम से इन सिद्धांतों ने हजारों लोगों के हृदय को स्पर्श किया। उनकी वाणी और व्यवहार ने यह सिद्ध किया कि बौद्ध धर्म केवल एक धर्म नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक शैली है।

पदयात्रा में शामिल श्रद्धालुओं ने अहिंसा और करुणा के महत्व को समझते हुए इसे अपने जीवन में उतारने की प्रेरणा ली। इस यात्रा ने यह संदेश दिया कि समाज में शांति, सहयोग और आपसी सद्भावना की स्थापना बौद्ध धम्म के माध्यम से संभव है।

विश्व शांति का संदेश

धम्म चरिता पदयात्रा न केवल बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार कर रही है, बल्कि विश्व शांति का संदेश भी दे रही है। बौद्ध भिक्षुओं ने अपने शांतिपूर्ण और अनुशासित कदमों से लोगों को यह सिखाया कि समाज में सद्भाव और मैत्री का विकास कैसे किया जा सकता है।

रामग्राम में लोगों ने इस संदेश को आत्मसात करते हुए इसे विश्व स्तर पर फैलाने का आह्वान किया। स्थानीय युवाओं और बच्चों ने बौद्ध भिक्षुओं के साथ मिलकर धम्म के प्रचार में सहयोग किया, जिससे यह आयोजन और भी प्रेरणादायक बन गया।

धम्म पदयात्रा: समाज को जोड़ने का प्रयास

इस ऐतिहासिक आयोजन ने समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़ने और उनमें आध्यात्मिक चेतना का संचार करने का कार्य किया। श्रद्धालु, भिक्षु और स्थानीय लोग एक साथ मिलकर धम्म के प्रचार में शामिल हुए। रामग्राम में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों और प्रवचनों ने इस आयोजन को और भी महत्वपूर्ण बना दिया।

भारतीय संस्कृति और बौद्ध धरोहर का महत्व

धम्म चरिता पदयात्रा ने यह सिद्ध किया कि भारतीय संस्कृति और धरोहरें आज भी लोगों के जीवन में गहराई तक समाई हुई हैं। बौद्ध धर्म, जो अपने मूल सिद्धांतों के माध्यम से विश्व शांति और सद्भाव का संदेश देता है, इस पदयात्रा के माध्यम से नई पीढ़ी तक पहुंचा।

रामग्राम का यह आयोजन इस बात का प्रमाण है कि भारतीय समाज अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ा हुआ है। बौद्ध धर्म की शिक्षाओं ने न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।

आगे का मार्ग

धम्म चरिता पदयात्रा के अगले पड़ावों में बौद्ध धर्म के प्रचार को और विस्तार दिया जाएगा। यह यात्रा न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक चेतना का माध्यम भी बन रही है। आयोजकों का कहना है कि इस पदयात्रा के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक धम्म के संदेश को पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा।

निष्कर्ष

सारनाथ से रामग्राम तक की धम्म चरिता पदयात्रा ने यह साबित कर दिया कि बौद्ध धर्म केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है। करुणा, अहिंसा और मैत्री के मूल सिद्धांतों पर आधारित यह आयोजन भारतीय संस्कृति और मानवता के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गया है।

इस ऐतिहासिक आयोजन ने हजारों लोगों को एक साथ लाकर धम्म के प्रचार-प्रसार के माध्यम से समाज को जोड़ने का कार्य किया। यह पदयात्रा बौद्ध धर्म के अनुयायियों और भारतीय समाज के लिए एक अद्वितीय प्रेरणा बनकर उभरी है।