पीडब्ल्यूडी महराजगंज में भ्रष्टाचार का खुलासा: जेई योगेश तिवारी पर रिश्तेदार की फर्म को फर्जी भुगतान का आरोप

सरकारी धन की हेराफेरी का शक, विभागीय अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
महराजगंज: लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) महराजगंज में भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला सामने आया है। विभाग के जूनियर इंजीनियर (जेई) योगेश तिवारी पर आरोप है कि उन्होंने अपने कथित रिश्तेदार की फर्म को अनियमित रूप से भुगतान किया। दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि यह भुगतान बिना उचित प्रक्रिया अपनाए किया गया, जिससे सरकारी धन के दुरुपयोग की आशंका बढ़ गई है।
फर्म को संदिग्ध तरीके से दिया गया लाखों का भुगतान
सूत्रों के अनुसार, योगेश तिवारी अपने कथित रिश्तेदार नितीश तिवारी की निर्माण फर्म “एम/एस श्रद्धा कंस्ट्रक्शन कंपनी” को नियमों को दरकिनार कर फर्जी भुगतान करवा रहे हैं। दस्तावेजों में पाया गया है कि यह फर्म वर्ष 2022 में पंजीकृत हुई थी और इसका मुख्यालय शास्त्री नगर, नहर कॉलोनी, महराजगंज (273303) में स्थित है। नितीश तिवारी इस फर्म के प्रोपराइटर बताए जा रहे हैं।
ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, श्रद्धा कंस्ट्रक्शन कंपनी को कई सड़क मरम्मत परियोजनाओं के लिए भुगतान किया गया है। लेकिन कई मामलों में अतिरिक्त मद में अप्रत्याशित धनराशि जारी की गई, जिससे अनियमितताओं का संदेह गहरा गया है।
इन परियोजनाओं में हुई गड़बड़ी
सूत्रों के अनुसार, निर्माण कार्यों की कुल शेष लागत 42.12 लाख रुपये थी, जिसमें कई परियोजनाओं में धनराशि की हेराफेरी की आशंका जताई जा रही है। जिन परियोजनाओं में अनियमितता पाई गई, वे हैं:
- बेलहिया लिंक रोड विशेष मरम्मत (वित्तीय वर्ष 2022-23) – 5.84 लाख रुपये
- लक्ष्मीपुर महंथ लिंक रोड विशेष मरम्मत – 4.78 लाख रुपये
- पीएमजीएसवाई से पारसखाड झुगवा लिंक रोड विशेष मरम्मत – 3.56 लाख रुपये आदि
इन परियोजनाओं में बिना उचित प्रक्रिया के अतिरिक्त मद में भुगतान किया गया। स्थानीय लोगों ने संदेह जताया है कि निर्माण कार्यों में गुणवत्ता से समझौता किया गया और कागजी कार्रवाई के जरिए सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया।
बैंक लेन-देन में भी मिली गड़बड़ी
दस्तावेजों से पता चला है कि ई-प्रोक्योरमेंट रेफरेंस नंबर 17722394899106 के तहत एसबीआई बैंक के माध्यम से 1,01,856 रुपये की टेंडर फीस और ईएमडी फीस का भुगतान हुआ था। हालांकि, इसके बाद की वित्तीय गतिविधियों में अनियमितताएं पाई गई हैं।
अधिकारियों की भूमिका पर सवाल
इस घोटाले में सिर्फ जेई योगेश तिवारी ही नहीं, बल्कि विभागीय अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी बड़ी वित्तीय हेराफेरी बिना उच्चाधिकारियों की मिलीभगत के संभव नहीं है। कई सामाजिक संगठनों और स्थानीय नेताओं ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
जेई योगेश तिवारी ने आरोपों को बताया बेबुनियाद
जब इस मामले में जेई योगेश तिवारी से संपर्क किया गया, तो उन्होंने इन आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा,
“मैं जौनपुर का रहने वाला हूं और महराजगंज में मेरा कोई रिश्तेदार नहीं है। मेरे ऊपर लगाए गए सभी आरोप निराधार और तथ्यहीन हैं। मैं किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार में शामिल नहीं हूं।”
विभागीय जांच की मांग तेज
इस घोटाले के खुलासे के बाद स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने विभागीय जांच की मांग की है। पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता से जब इस पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि, विभागीय सूत्रों का कहना है कि जल्द ही आंतरिक जांच शुरू की जा सकती है।
भ्रष्टाचार पर सरकार की चुप्पी चिंता का विष
यह मामला पीडब्ल्यूडी में पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। सरकारी धन का दुरुपयोग जनता के साथ धोखा है। यदि इस मामले की गहराई से जांच नहीं हुई, तो भविष्य में इसी तरह के अन्य घोटाले भी सामने आ सकते हैं।
क्या होगी अगली कार्रवाई?
फिलहाल, सरकारी एजेंसियों की चुप्पी और विभागीय अधिकारियों का लचर रवैया भ्रष्टाचार के प्रति लापरवाही को दर्शाता है। लेकिन यदि मीडिया और सामाजिक संगठनों का दबाव बढ़ता है, तो सरकार को इस घोटाले की जांच के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
अब देखना यह होगा कि योगेश तिवारी और उनके कथित रिश्तेदार के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई होती है या यह मामला भी अन्य भ्रष्टाचार के मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।