12460 सहायक अध्यापक भर्ती में महराजगंज की द्वितीय काउंसिलिंग में आरक्षण सूची में गड़बड़ी का आरोप

अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की उपेक्षा, पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को मिली अधिक सीटें, मेरिट में आने के बावजूद कई अभ्यर्थी वंचित
महराजगंज: उत्तर प्रदेश की 12460 सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया (2016-17) में महराजगंज जनपद में द्वितीय काउंसिलिंग के दौरान आरक्षण सूची में भारी अनियमितता का आरोप सामने आया है। बिपिन चतुर्वेदी नामक अभ्यर्थी (रजि. नं. 2000105204) ने लिखित शिकायत में कहा है कि मेरिट में आने के बावजूद अनारक्षित वर्ग के दर्जनों अभ्यर्थियों का चयन नहीं किया गया, जबकि पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को नियम विरुद्ध तरीके से अनारक्षित सीटों पर नियुक्ति दे दी गई।
बिपिन चतुर्वेदी ने बताया कि उसका गुणांक 69.05 है और वह अनारक्षित वर्ग में मेरिट में सम्मिलित था। इसके बावजूद चयन सूची में उसका नाम नहीं आया। जबकि सचिव बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा जारी सूची में अनारक्षित वर्ग की 108 सीटें थीं, लेकिन चयन सूची में मात्र 55 अभ्यर्थियों को ही इस वर्ग में रखा गया। वहीं, पिछड़ा वर्ग की 45 सीटों के सापेक्ष 92 अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया, जो कि स्पष्ट रूप से नियमों के विरुद्ध है।
शिकायतकर्ता का कहना है कि इस अनियमितता की जानकारी बेसिक शिक्षा अधिकारी एवं जिलाधिकारी को लिखित रूप में दी गई, परंतु आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई। मौखिक रूप से अधिकारियों ने “रिसफलिंग” की बात कहकर मामले को टाल दिया। जबकि प्रथम काउंसिलिंग के बाद OBC वर्ग की सीटें खाली थीं, और द्वितीय काउंसिलिंग में वही अभ्यर्थी जो पहले से नौकरी में थे, पुनः चयनित किए गए।
बिपिन ने यह भी आरोप लगाया कि कोर्ट के निर्देश के तहत केवल रिक्त पदों पर नियुक्ति होनी थी, परंतु पहले से नियुक्त अभ्यर्थियों को भी दोबारा चयन सूची में शामिल किया गया। यह प्रक्रिया पारदर्शिता और न्यायसंगत चयन के सिद्धांतों के विरुद्ध है।
अब प्रश्न उठता है कि क्या भर्ती प्रक्रिया में जानबूझकर अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव किया गया? और यदि हाँ, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? पीड़ित अभ्यर्थियों ने मामले की उच्च स्तरीय जांच एवं उचित कार्रवाई की मांग की है।