पूर्व में निलंबित कोटेदार मोहन गुप्ता की जांच में फिर सवाल, तहसीलदार की भूमिका पर ग्रामीणों ने उठाए गंभीर आरोप

पूर्व में निलंबित कोटेदार मोहन गुप्ता की जांच में फिर सवाल, तहसीलदार की भूमिका पर ग्रामीणों ने उठाए गंभीर आरोप

ग्रामसभा मेदिनीपुर के ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से की निष्पक्ष जांच की मांग, कोटेदार पर पहले भी लग चुके हैं गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप


महराजगंज (27 जून 2025):
जनपद महराजगंज की ग्रामसभा मेदिनीपुर में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत नियुक्त कोटेदार श्री मोहनलाल गुप्ता एक बार फिर विवादों में हैं। वर्ष 2024 में भी राशन वितरण में अनियमितताओं के आरोप में उन्हें निलंबित किया गया था। लेकिन कथित रूप से एक बड़े राजनीतिक दबाव में तत्कालीन जिलाधिकारी अनुनय झा ने उन्हें बहाल कर दिया था। इस कृत्य की सतर्कता जांच प्रचलित है ग्रामीणों का आरोप है कि इस बहाली की प्रक्रिया ही संदिग्ध थी और जांच के नाम पर कोटेदार को बचाने का प्रयास किया गया था।

जानकारी के अनुसार, उस समय की जांच रिपोर्ट में कोटेदार मोहन गुप्ता पर गंभीर आरोप साबित हुए थे। पाँच लाभार्थियों में से सौ प्रतिशत से अधिक की गड़बड़ी पाई गई थी। जिला स्तरीय अधिकारियों की निगरानी में भी कई अनियमितताएं उजागर हुई थीं। इसके बावजूद मोहन गुप्ता को बहाल कर दिया गया, जिससे स्थानीय लोगों में नाराज़गी थी। अब एक बार फिर, जब कोटेदार के खिलाफ नए सिरे से जांच शुरू हुई है, तो तहसीलदार की भूमिका पर प्रश्नचिह्न लगने लगे हैं।

ग्रामसभा मेदिनीपुर के ग्राम प्रधान समेत सैकड़ों ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को एक लिखित शिकायत सौंपते हुए तहसीलदार की निष्पक्षता पर गंभीर संदेह जताया है। ग्रामीणों का कहना है कि तहसीलदार द्वारा गठित जांच समिति में पारदर्शिता का पूर्ण अभाव है। जांच के दौरान केवल कोटेदार पक्ष के लोगों को बुलाया गया और उनके पक्ष में बयान दर्ज किए गए, जबकि असल शिकायतकर्ता यानी ग्रामीणों को जांच की जानकारी तक नहीं दी गई।

ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि कोटेदार मोहन गुप्ता वर्तमान में भी राशन वितरण में मनमानी कर रहे हैं और लाभार्थियों को उनका हक नहीं मिल रहा। कुछ लोगों से राशन कार्ड के बदले रुपए वसूले जाने की भी शिकायतें हैं। इसके अलावा, कई बुजुर्ग और विधवाओं के नाम पर राशन वितरण दर्शाया गया है जबकि उन्हें महीनों से राशन नहीं मिला।

ग्राम प्रधान समितन्जय ने साफ तौर पर कहा कि, “जब जांच अधिकारी स्वयं एकपक्षीय रवैया अपनाएंगे, तो ग्रामीणों को न्याय कैसे मिलेगा? हम जिलाधिकारी महोदय से आग्रह करते हैं कि इस जांच को किसी अन्य ईमानदार और निष्पक्ष अधिकारी को सौंपा जाए।”

ग्रामसभा के वरिष्ठ नागरिकों ने भी इस मामले को गंभीर बताते हुए कहा है कि यदि निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो वे शासन स्तर तक शिकायत पहुंचाएंगे। ग्रामीणों का मानना है कि कोटेदार की राजनीतिक पकड़ और प्रशासन में कुछ अधिकारियों से मिलीभगत के चलते सच्चाई को दबाने की कोशिश की जा रही है।

मामले को लेकर ग्रामसभा मेदिनीपुर में असंतोष का माहौल है। कई सामाजिक संगठनों ने भी इस प्रकरण में जिलाधिकारी से स्वतः संज्ञान लेकर निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की मांग की है। यदि जल्द ही कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला जनआंदोलन का रूप भी ले सकता है।

अब निगाहें जिला प्रशासन पर टिकी हैं कि वह कोटेदार के पुराने और वर्तमान रिकॉर्ड को देखते हुए किस प्रकार की कार्रवाई करता है। खासकर जब तहसील स्तर के जांच अधिकारी पर ही सवाल उठने लगे हैं, तो प्रशासन के लिए यह एक बड़ी परीक्षा है।

रिपोर्टर:
मनोज तिवारी
स्थान: महराजगंज, उत्तर प्रदेश