मनरेगा में बड़ा फर्जीवाड़ा: करौता में बिना काम के चढ़ाया 71 मजदूरों का मस्टररोल

मनरेगा में बड़ा फर्जीवाड़ा: करौता में बिना काम के चढ़ाया 71 मजदूरों का मस्टररोल

मनरेगा फर्जीबाड़े के लिए फोटो सूट कराते लोग


पोखरी में पहले से भरी बरसात का पानी, मिट्टी की खुदाई का कोई नया प्रमाण नहीं; फोटो में मात्र 20 मजदूर दिखाई दिए

जहां इस गांव का प्रधान और पंचायत मित्र मनरेगा की लुट में लगे हैं वहीं इस युवक ने गांव की बनाई अलग पहचान 

महराजगंज जनपद के मिठौरा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत करौता में मनरेगा योजना के तहत चल रहे “सेमरहिया पोखरी के जीर्णोद्धार कार्य” में भारी अनियमितता सामने आई है। दिनांक 2 जुलाई 2025 को एनएमएमएस ऐप के माध्यम से दर्ज की गई उपस्थिति में कुल 71 श्रमिकों को कार्यरत बताया गया, जबकि मौके की वास्तविक स्थिति इससे पूरी तरह भिन्न पाई गई।

प्राप्त विवरण के अनुसार, कार्य स्थल पर अपलोड की गई समूह फोटो-1 (तारीख: 02 जुलाई 2025, समय: 11:31 बजे) में मुश्किल से 15–20 श्रमिक ही दिखाई दे रहे हैं। इसके अलावा दूसरी अनिवार्य फोटो अब तक अपलोड नहीं की गई है, जिससे संदेह और गहरा हो गया है। यह भी उल्लेखनीय है कि जिस पोखरी की खुदाई का दावा किया गया है, उसमें पहले से बरसात का पानी भरा हुआ है और मिट्टी की कोई नई खुदाई स्पष्ट रूप से नजर नहीं आती। पुराने खुदाई के निशान ही पानी में समतल हो गए हैं, जिससे यह प्रतीत होता है कि कोई कार्य हाल में नहीं हुआ।

मौके की स्थिति से उभरे सवाल:

मस्टररोल में 71 मजदूरों की उपस्थिति दर्ज, जबकि फोटो में 20 से भी कम मजदूर।

दूसरी अनिवार्य उपस्थिति फोटो गायब, जो ऐप के निर्देशों का उल्लंघन है।

पोखरी की खुदाई का कोई ताजा प्रमाण नहीं, बरसात का पानी पहले से भरा मिला।

मिट्टी की स्थिति से स्पष्ट है कि कार्य पूर्व में ही किया जा चुका है या हुआ ही नहीं।

ग्राम पंचायत स्तर के पदाधिकारी रामअशिष पटेल द्वारा यह उपस्थिति दर्ज की गई थी, जिनका नाम फोटो विवरण में दर्ज है। सवाल उठता है कि क्या ये उपस्थिति जानबूझकर मस्टररोल भरने के लिए बनाई गई ताकि बिना कार्य कराए भुगतान किया जा सके?

स्थानीय लोगों का कहना है कि उक्त पोखरी में महीनों से कोई कार्य नहीं हुआ है, और यह पूरी तरह बरसात के पानी से भरी रहती है। वहीं कुछ मजदूरों के परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि कई मजदूर तो उस दिन गांव में ही मौजूद थे और कार्य स्थल पर गए ही नहीं।

जांच की मांग तेज

अब यह मामला न सिर्फ ग्राम पंचायत स्तर की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहा है, बल्कि संपूर्ण मनरेगा योजना की निगरानी व्यवस्था पर भी। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जिला प्रशासन से तत्काल जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

मनरेगा जैसी महत्वाकांक्षी योजना का इस तरह दुरुपयोग न केवल सरकारी धन का अपव्यय है, बल्कि गरीब मजदूरों के अधिकारों की भी खुली लूट है। जिला प्रशासन को इस मामले का संज्ञान लेकर यथाशीघ्र तकनीकी व स्थलीय जांच करानी चाहिए ताकि ऐसे फर्जीवाड़ों पर लगाम लगाई जा सके।