काली स्थान की भूमि पर अवैध वसूली का खुलासा, लाखों की कमाई पर सवाल

काली स्थान की भूमि पर अवैध वसूली का खुलासा, लाखों की कमाई पर सवाल

जहदा गांव में धार्मिक स्थल की भूमि पर दुकानों और हाट बाजार से हो रही अवैध कमाई, मुख्यमंत्री से की गई जांच की मांग

 

महराजगंज।
तहसील निचलौल के ग्राम जहदा (राजस्व ग्राम क्रमांक 183992) में स्थित काली स्थान की भूमि पर हो रही अवैध आर्थिक गतिविधियों को लेकर बड़ा मामला सामने आया है। ग्रामवासियों द्वारा मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को प्रेषित शिकायत संख्या 40018725015131, दिनांक 25 जून 2025 के माध्यम से आरोप लगाया गया है कि धार्मिक आस्था के केंद्र इस भूमि पर वर्षों से दुकानें, हाट-बाजार और किराया वसूली के माध्यम से लाखों की कमाई की जा रही है, जिसकी न तो कोई विधिवत लेखा-जोखा है और न ही कोई वैध अनुमति।

ग्राम की गाटा संख्या 56, रकवा 0.0850 हेक्टेयर भूमि पर मां काली जी का प्राचीन मंदिर स्थित है, जिसे काली स्थान के नाम से जाना जाता है। इस भूमि पर अब स्थानीय सहयोग से नीम करौली धाम के तर्ज पर एक भव्य हनुमान मंदिर का निर्माण भी प्रगति पर है, जिसकी नींव रखी जा चुकी है।

शिकायतकर्ता विजय कुमार कश्यप (पूर्व एमएलसी प्रत्याशी, गोरखपुर-महराजगंज) ने बताया कि उक्त भूमि पर पहले से ही 14 पक्की दुकानों का निर्माण किया गया है, जिनसे प्रतिमाह हजारों रुपये किराया लिया जा रहा है। साथ ही, सोमवार, बुधवार और शनिवार को साप्ताहिक हाट बाजार भी लगता है, जिसमें सब्जी, घरेलू सामान व खाद्य पदार्थों की बिक्री होती है। इन अस्थायी दुकानों से भी कथित तौर पर ग्राम पंचायत से जुड़े कुछ कथित प्रभावशाली लोगों द्वारा “बैठका” के नाम पर अवैध रूप से धनराशि वसूली जाती है।

कश्यप ने आरोप लगाया है कि यह सब कुछ ग्राम पंचायत स्तर के लोगों की साठगांठ से हो रहा है और इससे प्रतिवर्ष लाखों रुपये की कमाई हो रही है। लेकिन यह धनराशि कहां जाती है, इसका कोई सार्वजनिक ब्यौरा नहीं है और न ही धार्मिक स्थल की आय के संरक्षण के लिए कोई व्यवस्था की गई है।

उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि काली स्थान भूमि से हो रही समस्त राजस्व आय को सुरक्षित व पारदर्शी तरीके से संरक्षित किया जाए और अवैध वसूली को तुरंत रोका जाए। साथ ही दोषियों की पहचान कर उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए।

यह मामला न केवल धार्मिक आस्था और जनभावनाओं से जुड़ा है, बल्कि यह एक सार्वजनिक सम्पत्ति की पारदर्शिता और जवाबदेही का भी प्रश्न है। यदि शीघ्र प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई, तो यह मामला आगे चलकर सामाजिक अशांति और जन आक्रोश को जन्म दे सकता है।

स्थानीय प्रशासन से इस विषय पर अभी कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन शिकायत मुख्यमंत्री तक पहुंचने के बाद अब निगाहें लखनऊ की ओर हैं कि सरकार इस गंभीर मामले में क्या कदम उठाती है।