आंगनबाड़ी खाद्यान्न वितरण में भारी गड़बड़ी, कोटेदारों पर कालाबाजारी का आरोप, प्रशासन मौन

आंगनबाड़ी खाद्यान्न वितरण में भारी गड़बड़ी, कोटेदारों पर कालाबाजारी का आरोप, प्रशासन मौन

आंगनबाड़ी योजना (आईसीडीएस) के तहत गरीब और कुपोषित बच्चों, गर्भवती व धात्री महिलाओं को मिलने वाले खाद्यान्न वितरण में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। ग्राम पंचायत मेदनीपुर में हुई तहसील स्तर की जांच में यह खुलासा हुआ कि कोटेदार मोहनलाल गुप्ता ने अधिकांश लाभार्थियों को अनाज नहीं दिया और खाद्यान्न की कालाबाजारी की।

जांच रिपोर्ट के मुताबिक कोटेदार ने न सिर्फ वितरण रजिस्टर और दस्तावेज गायब कराए बल्कि उनकी गुमशुदगी की फर्जी रिपोर्ट भी दर्ज करा दी। इस पूरे मामले में विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत की भी आशंका जताई जा रही है।

लाभार्थियों के बयान में सच्चाई

डिप्टी कलेक्टर विजय यादव ने जब मौके पर जाकर आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और लाभार्थियों से पूछताछ की तो स्थिति स्पष्ट हो गई।

कई महिलाओं ने बताया कि आंगनबाड़ी से उन्हें दाल, दलिया और रिफाइंड तेल तो नियमित मिलता है, लेकिन कोटेदार से गेहूं-चावल डेढ़ साल में केवल दो बार मिला।

कुछ लाभार्थियों ने साफ कहा कि उन्हें कोटेदार से आज तक एक दाना भी नहीं मिला।

वहीं कुछ ने बताया कि कभी-कभार चावल मिला, लेकिन नियमित वितरण नहीं हुआ।

इससे यह साबित हुआ कि मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का पालन नहीं किया गया और खाद्यान्न वितरण में भारी लापरवाही हुई।

प्रशासनिक लापरवाही उजागर

जांच रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि संबंधित सुपरवाइजरों ने निगरानी में शिथिलता बरती। जबकि एसओपी के अनुसार ब्लाक स्तर पर सम्बंधित ब्लाक परियोजना अधिकारी एवं तहसील स्तर पर सम्बंधित उप जिलाधिकारी जो पर्यवेक्षण अधिकारी होते हैं के बावजूद निगरानी 2021से अवतक निगरानी नहीं हुई अब तक कोटेदार के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की।

शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि जिला प्रशासन शिकायतों को महीनों तक लंबित रखता है और इस दौरान कोटेदार व अधिकारी मिलकर दस्तावेजों को गायब कर देते हैं। शिकायतकर्ताओं को बार-बार चक्कर लगवाकर मानसिक रूप से थका दिया जाता है।

मामला पूरे जिले में फैला

जानकारों का कहना है कि यह समस्या केवल ग्राम पंचायत मेदनीपुर तक सीमित नहीं है। महराजगंज जनपद की लगभग सभी ग्राम पंचायतों में कोटेदारों द्वारा इसी तरह खाद्यान्न की कालाबाजारी की जा रही है। प्रशासनिक अमला मानो “कुंभकर्णी नींद” में सोया हुआ है।

विशेषज्ञों की राय

सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि आईसीडीएस योजना का उद्देश्य बच्चों और महिलाओं को कुपोषण से बचाना है। अगर इसमें ही भ्रष्टाचार होगा तो इसका सीधा असर गरीब जनता के स्वास्थ्य पर पड़ेगा।

उनके मुताबिक:

दोषी कोटेदारों के लाइसेंस तत्काल रद्द किए जाने चाहिए।

विभागीय अधिकारियों पर भी कठोर कार्रवाई जरूरी है।

वितरण प्रणाली को पूरी तरह ऑनलाइन और आधार आधारित बनाया जाए, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

महराजगंज में आंगनबाड़ी खाद्यान्न वितरण का मामला गरीबों के हक से खिलवाड़ और सरकारी योजनाओं की धज्जियां उड़ाने का जीता-जागता उदाहरण है। जांच रिपोर्ट आने के बावजूद प्रशासन की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है।

अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस पर कब तक कार्रवाई करता है या फिर यह भी महज कागजी खानापूर्ति बनकर रह जाएगा।