फर्जी जाति प्रमाण पत्र घोटाले में जिम्मेदारों की लापरवाही
बीएसए कार्यालय में दब रहा मामला, जांच अधिकारी ने हाथ खड़े किए
महराजगंज।
फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी कर रहे शिक्षकों का मामला महराजगंज में तूल पकड़ता जा रहा है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और संरक्षण ने पूरे सिस्टम की सच्चाई उजागर कर दी है।
ग्राम सिंहपुर निवासी मनोज कुमार तिवारी ने आईजीआरएस पोर्टल (संदर्भ संख्या 40018725022118) पर शिकायत की थी कि कम्पोजिट विद्यालय धमउर में कार्यरत शिक्षक कृष्ण कुमार गोंड और शैलेश गौड़ ने कूटरचित तरीके से अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी हथियाई है। यह प्रकरण कोई साधारण नहीं है, क्योंकि इसी तरह के मामले में आदेश के बावजूद दुर्गेश पांडेय नामक प्रधानाध्यापक की सेवा समाप्ति का आदेश खुद शिक्षा निदेशक बेसिक लखनऊ से जारी हुआ था।
इसके बावजूद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) महराजगंज ने औपचारिकता निभाते हुए आरोपित शिक्षकों का वेतन रोकने का आदेश तो जारी किया, लेकिन 1 अगस्त 2025 को उनके खाते में वेतन भी भेज दिया गया। यह सीधे-सीधे राजकोष की क्षति है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का प्रमाण।
जब मामला खण्ड शिक्षा अधिकारी निचलौल आनंद कुमार मिश्र को जांच के लिए दिया गया तो उन्होंने आख्या में लिख दिया कि यह उच्च स्तरीय जांच का विषय है और उनके स्तर से निस्तारण संभव नहीं है। यानी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए पूरा बोझ फिर बीएसए कार्यालय पर डाल दिया गया।
शिकायतकर्ता का सीधा आरोप है कि इस तरह जांच को छोटे स्तर पर घुमाकर जिम्मेदार अधिकारी आरोपित शिक्षकों को बचाने का काम कर रहे हैं। आईजीआरएस पर “पूर्ण निस्तारण” दिखाना जनता और शासन दोनों को गुमराह करने का प्रयास है।
नियम यह है कि बी एस ए महराजगंज जिलाधिकारी/ स्क्रुटनी समिति को पत्र लिखकर आरोपी फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारक शिक्षकों का जाति प्रमाण पत्र जांच कराकर विधिसम्मत कार्यवाही करें लेकिन बीएसए सुश्री रिद्धि पांडेय ऐसा न कर जांच को गोल गोल धूमा रही है
अब सवाल यह है कि बीएसए महराजगंज कब तक इस गंभीर प्रकरण पर आंखें मूंदे रहेंगीं? क्या फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी करने वालों को बचाने के लिए पूरा तंत्र लगा है? या फिर कार्रवाई केवल कागजों में ही होती रहेगी और असली दोषी वेतन उठाते रहेंगे?