महात्मा गांधी की 155वीं जयंती: अहिंसा और सत्य का संदेश आज भी प्रासंगिक

महात्मा गांधी की 155वीं जयंती: अहिंसा और सत्य का संदेश आज भी प्रासंगिक

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दो अक्तूबर को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाई जा रही गांधी जयंती, सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों को नए सिरे से समझने की अपील

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नई दिल्ली – भारत सहित दुनिया भर में 2 अक्तूबर को महात्मा गांधी की जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष, उनकी 155वीं जयंती के अवसर पर राष्ट्रपिता के जीवन, उनके आदर्शों और विचारों को याद करते हुए देशभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। महात्मा गांधी के सिद्धांत सत्य और अहिंसा की आज भी उतनी ही प्रासंगिकता है जितनी उनके समय में थी। उनके विचार न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए मार्गदर्शक बने, बल्कि दुनिया भर के स्वतंत्रता संग्रामों और सामाजिक आंदोलनों के लिए प्रेरणा के स्रोत भी साबित हुए हैं।

गांधी जी की शिक्षा और उनके आदर्शों की प्रासंगिकता

महात्मा गांधी का जीवन सत्य, अहिंसा और सादगी का आदर्श उदाहरण है। उन्होंने सत्य के प्रति अडिग रहकर, अन्याय और उत्पीड़न का विरोध किया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी के योगदान को कोई भी नजरअंदाज नहीं कर सकता। उनका सत्याग्रह आंदोलन और अहिंसात्मक विरोध ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष को एक नई दिशा दी। गांधी जी का यह मानना था कि हिंसा से किसी भी समस्या का समाधान नहीं निकाला जा सकता। उनके विचार आज भी राजनीति, सामाजिक न्याय और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्रों में प्रासंगिक हैं।

आज, जब दुनिया हिंसा, युद्ध और राजनीतिक उथल-पुथल से जूझ रही है, महात्मा गांधी के अहिंसा और सत्य के संदेश को अपनाने की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा महसूस होती है। गांधी जी ने न केवल राजनीतिक आजादी की बात की, बल्कि उन्होंने आत्म-निर्भरता, ग्रामीण विकास, और स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को भी महत्व दिया। आज के दौर में जब दुनिया पर्यावरणीय संकट और आर्थिक असमानता का सामना कर रही है, गांधी जी के विचारों का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक हो गया है।

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गांधी जयंती

गांधी जयंती को भारत में राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। इस दिन देश के हर कोने में विभिन्न कार्यक्रम, रैलियां, और चर्चाएं आयोजित की जाती हैं, जिनमें गांधी जी के विचारों और उनके योगदान पर चर्चा की जाती है। इसके अलावा, 2 अक्तूबर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मनाया जाता है। 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिन को ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में मान्यता दी थी। तब से, दुनिया के विभिन्न हिस्सों में गांधी जी के अहिंसा के संदेश को फैलाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

गांधी जी की जीवन शैली और उनके विचार

महात्मा गांधी का जीवन हमेशा से एक सादा और आदर्श जीवनशैली का उदाहरण रहा है। उन्होंने पश्चिमी भौतिकवाद और अत्यधिक उपभोग की निंदा की और एक सादगीपूर्ण जीवन जीने की अपील की। उनकी जीवनशैली ने आत्म-निर्भरता और स्वावलंबन को बढ़ावा दिया। उन्होंने चरखा चलाकर कपड़े बनाने और स्थानीय उत्पादों को अपनाने की शिक्षा दी। यह न केवल आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम था, बल्कि उपनिवेशवाद के खिलाफ एक सशक्त प्रतिक्रिया भी थी।

आज, जब जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संकट ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है, गांधी जी के विचारों की प्रासंगिकता और बढ़ गई है। उनका यह मानना था कि धरती पर पर्याप्त संसाधन हैं जो हर इंसान की जरूरत को पूरा कर सकते हैं, लेकिन लालच को नहीं। उन्होंने हमेशा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और उनका उचित उपयोग करने की सलाह दी।

युवाओं के लिए गांधी जी का संदेश

गांधी जी के आदर्श आज की युवा पीढ़ी के लिए भी एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक हो सकते हैं। युवा आज विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रहे हैं – बेरोजगारी, शिक्षा की कमी, और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे इनमें प्रमुख हैं। गांधी जी का यह मानना था कि युवा समाज की धुरी होते हैं और उनके सही दिशा में काम करने से समाज में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं। गांधी जी ने स्वच्छता, स्वावलंबन, और शिक्षा पर जोर दिया था। उन्होंने यह संदेश दिया था कि कोई भी काम छोटा नहीं होता और स्वावलंबन से आत्मसम्मान और स्वाभिमान मिलता है।

गांधी जी की अहिंसा और सत्याग्रह की विरासत

गांधी जी के सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांत केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम तक सीमित नहीं रहे, बल्कि उन्होंने दुनिया के अन्य देशों में भी सामाजिक और राजनीतिक संघर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला और दलाई लामा जैसे विश्व नेताओं ने गांधी जी के विचारों को अपनाया और अपने संघर्षों में उन्हें मार्गदर्शक माना।

अमेरिका के नागरिक अधिकार आंदोलन में, मार्टिन लूथर किंग ने गांधी जी के अहिंसा के सिद्धांत को अपनाकर नस्लीय भेदभाव के खिलाफ संघर्ष किया। दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला ने भी गांधी जी के सिद्धांतों को अपने संघर्ष का आधार बनाया और रंगभेद के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी। यह साफ है कि गांधी जी के विचारों की गूंज भारत से बहुत आगे तक सुनाई दी और यह आज भी दुनिया भर में शांति और न्याय के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।

आधुनिक समय में गांधी जी के विचारों की पुनरावृत्ति

आज के वैश्विक संदर्भ में, जहां राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक अस्थिरता देखने को मिल रही है, गांधी जी के विचारों की आवश्यकता और भी बढ़ गई है। उनकी अहिंसा की नीति ने यह सिद्ध कर दिया है कि किसी भी समस्या का हल शांति और संवाद के माध्यम से ही निकाला जा सकता है।

गांधी जी की जयंती पर विशेष कार्यक्रम

गांधी जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और अन्य प्रमुख नेता राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इसके साथ ही, स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में गांधी जी के जीवन और उनके आदर्शों पर चर्चा और निबंध प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। कई स्थानों पर सफाई अभियान चलाए जाते हैं, क्योंकि गांधी जी ने स्वच्छता को जीवन का एक अभिन्न हिस्सा माना था।

निष्कर्ष

महात्मा गांधी की 155वीं जयंती हमें उनके विचारों और आदर्शों को फिर से अपनाने का एक सुनहरा अवसर देती है। आज की दुनिया में जब हम कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, गांधी जी के सिद्धांत हमें शांति, समता और न्याय की दिशा में आगे बढ़ने का मार्ग दिखाते हैं। उनके सत्य और अहिंसा के संदेश को अपनाकर ही हम एक बेहतर समाज और दुनिया का निर्माण कर सकते हैं।