ग्राम प्रधान का मनमाना फ़ैसला: बिना नीलामी विद्यालय भवन ध्वस्त, ग्रामीणों में आक्रोश

प्रधान पर विकास कार्यों की आड़ में अनियमितता के आरोप, ग्रामीणों ने डीएम से की सख्त कार्रवाई की मांग

महाराजगंज जिले के विकास खंड सिसवा अंतर्गत ग्राम सभा बेलभरिया में ग्राम प्रधान बासमती देवी द्वारा प्राथमिक विद्यालय भवन को बिना नीलामी के ध्वस्त करने का मामला सामने आया है, जिसने पूरे गांव में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। यह विद्यालय भवन बीडीओ सिसवा द्वारा गोद लिया गया था और इसके विकास के लिए संरक्षित रखा गया था। परंतु प्रधान ने ग्रामीणों को भ्रमित करते हुए मुख्य भवन को बुलडोजर से गिरवा दिया, जिसके बाद गांव में विरोध की आग भड़क उठी है।

नीलामी का फरेब: जर्जर भवन की आड़ में मुख्य भवन ध्वस्त

बताया जा रहा है कि प्राथमिक विद्यालय बेलभरिया के एक पुराने और जर्जर भवन की नीलामी कुछ समय पहले 37,500 रुपये में की गई थी। यह नीलामी गांव के ही निवासी भारत पुत्र गाजर के नाम पर हुई थी। लेकिन प्रधान बासमती देवी ने इस नीलामी की आड़ में विद्यालय के मुख्य भवन को भी ध्वस्त करवा दिया, जो नीलामी की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं था। यह मुख्य भवन 1997-98 में तत्कालीन प्रधानाध्यापक बब्बन शर्मा और ग्राम प्रधान रघुनानू यादव के सहयोग से बनवाया गया था और अभी भी अच्छी स्थिति में था।

अवैध विध्वंस और ग्रामीणों का गुस्सा

ग्रामीणों का कहना है कि नीलामी सिर्फ संकुल कक्ष के बगल के जर्जर भवन की हुई थी, जबकि प्रधान ने इसके नाम पर मुख्य विद्यालय भवन को भी गिरवा दिया। ग्रामीणों को इस विध्वंस की कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई, न ही किसी प्रकार की पंचायत बैठक आयोजित की गई थी, जिससे ग्रामीणों में प्रधान के प्रति गहरी नाराजगी है। उनका मानना है कि प्रधान ने निजी स्वार्थ के चलते इस महत्वपूर्ण भवन को ध्वस्त करवा दिया है, जो गांव के विकास कार्यों में अवरोधक बनेगा।

बारिश के बीच आंगनवाड़ी निर्माण

सूत्रों के अनुसार, प्रधान ने पुरानी नींव पर आंगनवाड़ी भवन का निर्माण शुरू करवा दिया है। यह निर्माण कार्य वर्तमान में भारी बारिश के दौरान भी जारी है, जो न केवल सुरक्षा के दृष्टिकोण से खतरनाक है, बल्कि अव्यवस्थित और अनियमित भी प्रतीत होता है। ध्वस्त किए गए भवन का मलवा ग्राम पंचायत के प्रांगण में इकट्ठा किया जा रहा है, जिससे ग्रामीण और भी अधिक क्रोधित हो रहे हैं। वे इसे ग्राम पंचायत की संपत्ति का दुरुपयोग मानते हैं, और इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

प्रशासन और शिक्षा विभाग की उदासीनता

इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने अब तक इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधान द्वारा विकास कार्यों के नाम पर मनमानी की जा रही है और शिक्षा विभाग के अधिकारी इस मुद्दे पर उदासीन बने हुए हैं। स्थानीय प्रशासन की ओर से भी फिलहाल कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे ग्रामीणों का गुस्सा और बढ़ता जा रहा है।

डीएम को पत्र, उच्चस्तरीय जांच की मांग

गांव के प्रमुख व्यक्ति कृष्ण किशोर यादव ने इस अनियमितता की जानकारी जिलाधिकारी (डीएम) को पत्र लिखकर दी है। उन्होंने पत्र में इस अवैध विध्वंस के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रधान ने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अपनी मनमानी से गांव के विकास कार्यों को नुकसान पहुँचाया है। वे चाहते हैं कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच हो और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

सरकारी विकास योजनाओं में अनियमितता

यह घटना एक बार फिर से सरकारी विकास योजनाओं और ग्राम पंचायतों में हो रही अनियमितताओं को उजागर करती है। ग्रामीणों का कहना है कि विकास के नाम पर जो काम किए जा रहे हैं, वे अक्सर कागजों पर ही सीमित रह जाते हैं, जबकि जमीनी स्तर पर कुछ और ही हो रहा होता है। प्रधान और पंचायत के अन्य अधिकारी अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर ग्रामीणों को भ्रमित करते हैं और सरकारी संपत्तियों का अनैतिक रूप से प्रयोग करते हैं।

ग्राम प्रधान का तानाशाही रवैया

इस पूरे घटनाक्रम में प्रधान बासमती देवी का तानाशाही रवैया साफ़ तौर पर दिखाई दे रहा है। उन्होंने बिना किसी ग्राम सभा की बैठक के या किसी प्रकार की अनुमति के विद्यालय के मुख्य भवन को गिरवा दिया, जो गांव के विकास कार्यों के लिए संरक्षित था। उनका यह कदम न केवल अवैध है, बल्कि यह गांव के शिक्षा और विकास के अधिकारों का उल्लंघन भी है।

ग्रामीणों की नाराजगी और विरोध

गांव के निवासी इस घटनाक्रम से बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि प्रधान ने इस कार्य के माध्यम से गांव के विकास में रुकावट डाली है। वे इस घटना को लेकर एकजुट हो गए हैं और प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन ने इस मामले में त्वरित और सख्त कार्रवाई नहीं की, तो वे बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

स्थानीय प्रशासन का मौन

फिलहाल, स्थानीय प्रशासन की ओर से इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ग्रामीणों के लगातार विरोध और आक्रोश के बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों ने अब तक कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है। इसका परिणाम यह हो सकता है कि मामला और अधिक तूल पकड़े और जिले के अन्य क्षेत्रों में भी इसका प्रभाव देखने को मिले।

निष्कर्ष

बेलभरिया ग्राम सभा में विद्यालय भवन का बिना नीलामी के ध्वस्त किया जाना एक गंभीर मामला है, जिसने ग्रामीणों में व्यापक आक्रोश पैदा कर दिया है। यह घटना न केवल सरकारी विकास योजनाओं की पारदर्शिता पर सवाल उठाती है, बल्कि यह दर्शाती है कि कैसे स्थानीय पंचायतों में तानाशाही प्रवृत्तियां बढ़ रही हैं। ग्रामीणों की मांग है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की अनियमितताएं और मनमानी न हो। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और ग्रामीणों के आक्रोश को कैसे शांत करता है।