नवरात्रि 2024: शक्ति की उपासना का पवित्र आरंभ, घटस्थापना और पूजन विधि
घटस्थापना मुहूर्त, पूजन सामग्री और नौ दिनों

पूजा के विधान से संपूर्ण जानकारी
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ होता है, जो इस बार 3 अक्टूबर 2024 से प्रारंभ हो रहा है। यह समय देवी दुर्गा की आराधना और शक्ति की उपासना का सबसे पवित्र काल माना जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिसमें श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चंद्रघंटा, श्री कुष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी और श्री सिद्धिदात्री का पूजन शामिल है।
घटस्थापना का महत्व
नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना से होती है, जिसे नवरात्रि की आधारशिला माना जाता है। घटस्थापना का उद्देश्य देवी के शक्ति तत्व का आह्वान करना और उसे प्रत्यक्ष रूप में स्थापित करना है। धर्मशास्त्रों के अनुसार, घट या कलश में भगवान विष्णु, रुद्र, ब्रह्मा और विभिन्न देव शक्तियों का वास माना गया है, इसलिए इसे सुख-समृद्धि और मंगल का प्रतीक माना जाता है।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
3 अक्टूबर 2024 को घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:15 बजे से 7:22 बजे तक रहेगा। इस समय घटस्थापना करने से देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और संपूर्ण नवरात्रि में पूजा सफल होती है। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:46 बजे से 12:33 बजे तक रहेगा, जो उन भक्तों के लिए विशेष रूप से शुभ होगा, जो सुबह के समय घटस्थापना नहीं कर पाएंगे।
घटस्थापना की विधि
घटस्थापना के लिए शुद्ध मिट्टी का पात्र लिया जाता है, जिसमें जौ बोए जाते हैं। इस पात्र में सबसे पहले एक परत मिट्टी की बिछाई जाती है, फिर जौ की एक परत। इसके ऊपर फिर से मिट्टी की परत और जौ की दूसरी परत बिछाई जाती है। कलश की स्थापना के लिए एक सुदृढ़ मिट्टी, तांबे, चांदी या सोने का कलश लिया जाता है, जिसमें शुद्ध जल भरा जाता है। कलश के मुख पर मौली बांधकर रोली से स्वास्तिक और ॐ अंकित किया जाता है।
कलश में साबुत सुपारी, दूर्वा, फूल, इत्र और पंचरत्न डाले जाते हैं। इसके साथ ही कुछ सिक्के भी डाले जाते हैं, जो समृद्धि का प्रतीक होते हैं। कलश पर पांच आम या अशोक के पत्ते रखे जाते हैं और उसे चावल से भरे ढक्कन से ढका जाता है। इसके ऊपर लाल कपड़े में लिपटा नारियल रखा जाता है। नारियल का मुख साधक की ओर होना चाहिए, ताकि नकारात्मक ऊर्जा का नाश हो और कलश की ऊर्जा सक्रिय हो सके।
देवी दुर्गा की चौकी स्थापना
घटस्थापना के बाद देवी की चौकी स्थापित की जाती है। यह चौकी एक लकड़ी की होती है, जिसे गंगाजल से पवित्र किया जाता है। इसके ऊपर लाल रंग का कपड़ा बिछाया जाता है, जो देवी दुर्गा के शक्ति तत्व का प्रतीक होता है। इस चौकी पर मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित किया जाता है। यदि मूर्ति उपलब्ध नहीं है, तो नवार्ण मंत्र युक्त यंत्र स्थापित किया जा सकता है।
मां दुर्गा को लाल चुनरी उड़ाई जाती है और दीपक जलाकर उनकी आरती की जाती है। इस समय विशेष ध्यान दिया जाता है कि मां भगवती की पूजा विधि-विधान से हो, ताकि भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण हों।
नवरात्रि के नौ दिन: प्रत्येक दिन का महत्व
नवरात्रि के प्रत्येक दिन मां दुर्गा के एक विशेष स्वरूप की पूजा की जाती है:
1. प्रथम दिन (शैलपुत्री पूजन): मां शैलपुत्री की आराधना होती है, जो पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। इस दिन मां के साथ-साथ भूमि और प्राकृतिक संसाधनों का पूजन भी किया जाता है।
2. दूसरा दिन (ब्रह्मचारिणी पूजन): इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है, जो तपस्या और संयम का प्रतीक हैं।
3. तीसरा दिन (चंद्रघंटा पूजन): मां चंद्रघंटा की आराधना इस दिन होती है, जो शांति और साहस का प्रतीक हैं।
4. चौथा दिन (कुष्मांडा पूजन): इस दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है, जिनके हृदय से सृष्टि की उत्पत्ति मानी जाती है।
5. पांचवा दिन (स्कंदमाता पूजन): मां स्कंदमाता की आराधना की जाती है, जो भगवान कार्तिकेय की माता हैं।
6. छठा दिन (कात्यायनी पूजन): मां कात्यायनी की उपासना की जाती है, जो महिषासुर का वध करने वाली हैं।
7. सातवां दिन (कालरात्रि पूजन): मां कालरात्रि की पूजा की जाती है, जो सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों का नाश करती हैं।
8. आठवां दिन (महागौरी पूजन): मां महागौरी की आराधना की जाती है, जो सौंदर्य और शुद्धता का प्रतीक हैं।
9. नौवां दिन (सिद्धिदात्री पूजन): मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, जो सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं।
नवरात्रि का व्रत और अखंड ज्योत
नवरात्रि के नौ दिनों तक भक्त उपवास रखते हैं और देवी दुर्गा की पूजा करते हैं। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है, जिसमें कन्याओं को भोजन कराया जाता है। इसके साथ ही अखंड ज्योत भी जलाई जाती है, जो पूरे नवरात्रि के दौरान जलती रहती है। यह दीपक मां दुर्गा की अखंड कृपा का प्रतीक होता है।
समर्पण और भक्ति का पर्व
नवरात्रि केवल पूजा का पर्व नहीं है, बल्कि यह आस्था, भक्ति और शक्ति की उपासना का भी समय है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के विविध रूपों की पूजा के साथ-साथ आत्मशुद्धि और संयम का पालन किया जाता है। यह पर्व हमें जीवन में शक्ति और साहस से आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
2024 की नवरात्रि विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमें धर्म, संस्कृति और परंपराओं से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है।