जय माता दी: शारदीय नवरात्रि और देवी पूजन का विशेष महत्व

जय माता दी: शारदीय नवरात्रि और देवी पूजन का विशेष महत्व

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देवी की आराधना का पर्व: नवरात्रि व्रत, उपवास और महिमा

06 अक्टूबर 2024, रविवार

भारत में नवरात्रि का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण और पूजनीय माना जाता है। विशेष रूप से शारदीय नवरात्रि, जो अश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक मनाई जाती है, शक्ति की उपासना का पर्व है। यह समय वर्ष के उन खास दिनों में से है जब देवी दुर्गा की पूजा की जाती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। यह पर्व विशेष रूप से शक्ति की देवी माँ दुर्गा, उनके विभिन्न रूपों, और उनके प्रति भक्ति को समर्पित है।

नवरात्रि का महत्व और पौराणिक संदर्भ

‘देवी भागवत’ और अन्य पौराणिक ग्रंथों में नवरात्रि का उल्लेख विशेष रूप से किया गया है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति विद्या, धन और संतान की इच्छा रखते हैं, उन्हें इस पर्व में पूरी निष्ठा के साथ उपवास और पूजा करनी चाहिए। नवरात्रि के दौरान किए गए व्रत और उपवास में इतनी शक्ति होती है कि यह किसी भी परिस्थिति में संकटों से निकाल सकता है। इस व्रत के माध्यम से व्यक्ति राजा से रंक बनने के बाद भी पुनः गद्दी पर लौट सकता है।

नवरात्रि के नौ दिनों में प्रतिदिन माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान भक्ति-भाव से पूजन करने वाले श्रद्धालुओं को माँ की कृपा अवश्य प्राप्त होती है। प्रतिदिन देवी के पूजन के साथ-साथ हवन, कुमारी पूजन और ब्राह्मण भोजन करवाने से नवरात्रि व्रत की पूर्णता मानी जाती है।

विशेष धार्मिक अनुशासन और पूजन विधियाँ

नवरात्रि के दौरान केवल देवी दुर्गा की पूजा ही नहीं, बल्कि भजन-कीर्तन और धार्मिक अनुष्ठानों का भी विशेष महत्व है। देवी भागवत के अनुसार, इस दौरान वाद्ययंत्र बजाकर और नाच-गाकर बड़े समारोह के साथ उत्सव मनाना चाहिए। इन दिनों में भूमि पर सोना, उपवास रखना और जितना संभव हो, कन्याओं को भोजन कराना अति महत्वपूर्ण माना गया है। विशेष ध्यान यह रखा जाता है कि भोजन करवाने के लिए 2 से 10 वर्ष की आयु की कन्याओं को ही शामिल किया जाए।

अष्टमी तिथि का विशेष महत्व भी देवी भागवत में बताया गया है। कहा जाता है कि इसी दिन माँ भगवती भद्रकाली का अवतरण हुआ था, जो दक्ष के यज्ञ का विध्वंस करने के लिए प्रकट हुई थीं। इसलिए नवरात्रि के नौ दिनों में यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन पूजा नहीं कर पाता हो, तो उसे अष्टमी के दिन विशेष रूप से पूजन करना चाहिए।

उपवास और पूजा के लाभ

जो व्यक्ति पूरे नवरात्रि के उपवास नहीं कर सकते, उन्हें सप्तमी, अष्टमी, और नवमी के तीन दिन का उपवास अवश्य करना चाहिए। यह उपवास उन्हें पूरे नवरात्रि का फल प्रदान करता है। देवी की पूजा और उपवास का व्यक्ति के जीवन में विशेष लाभ होता है। यह न केवल भौतिक सुख-समृद्धि के लिए बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी अत्यंत फलदायक होता है।

मानसिक शांति और तनाव से मुक्ति के उपाय

नवरात्रि के दौरान विशेष मंत्र और जल के माध्यम से मानसिक शांति प्राप्त की जा सकती है। स्नान करते समय यदि जल में गुलाबजल मिलाकर “ॐ ह्रीं गंगायै ॐ ह्रीं स्वाहा” मंत्र का जाप करते हुए स्नान किया जाए, तो इसे गंगा-स्नान का पुण्य मिलता है। साथ ही, इससे मानसिक चिंताओं में कमी आती है, तनाव दूर होता है और विचारों की शुद्धि होती है। इस विधि के माध्यम से व्यक्ति अपने भीतर तरोताजगी का अनुभव कर सकता है, जिससे उसका चिड़चिड़ापन और चिंता भी कम हो जाती है।

चतुर्थी और अन्य व्रत-पर्वों का महत्व

नवरात्रि के तीसरे दिन विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत रखने से भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो सभी विघ्नों को दूर करने वाले माने जाते हैं। यह दिन खासकर उन लोगों के लिए है जो अपनी जीवन में आने वाली बाधाओं को समाप्त करना चाहते हैं। हालाँकि, यह मान्यता है कि चतुर्थी के दिन मूली का सेवन करने से धन की हानि होती है, इसलिए इस दिन मूली का परहेज करना चाहिए।

राहुकाल और दिशा शूल की जानकारी

आज, यानी 6 अक्टूबर 2024 को, राहुकाल शाम 04:53 से शाम 06:22 तक रहेगा। इस दौरान किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को करने से बचने की सलाह दी जाती है, क्योंकि राहुकाल को अशुभ समय माना जाता है। इसके अलावा, आज पश्चिम दिशा में दिशा शूल है, जिसका मतलब है कि इस दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह अशुभ माना जाता है। यदि यात्रा अत्यावश्यक हो, तो गुड़ का सेवन कर सकते हैं ताकि दिशा शूल का प्रभाव कम हो जाए।

नवरात्रि के दौरान विशेष पर्व

अक्टूबर 2024 में शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से प्रारंभ हुई है। 11 अक्टूबर को दुर्गाष्टमी मनाई जाएगी, और 12 अक्टूबर को सरस्वती विसर्जन, कन्या भोज और व्रत पारण का आयोजन होगा। इसी महीने की 13 तारीख को पापांकुशा एकादशी का व्रत होगा, जो गृहस्थों के लिए विशेष है।

नवरात्रि के इस पवित्र समय में, देवी की आराधना कर, हवन, कुमारी पूजन और उपवास करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।