महाराजगंज उपनिबंधक कार्यालय में अवैध वसूली का पर्दाफाश

महाराजगंज उपनिबंधक कार्यालय में अवैध वसूली का पर्दाफाश

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प्राइवेट कर्मियों के जरिए हो रहा सरकारी कार्य, रिश्वतखोरी से जनता में रोष

महाराजगंज: जिले के उपनिबंधक कार्यालय में चल रहे भ्रष्टाचार और अवैध वसूली का एक गंभीर मामला सामने आया है। सरकारी कार्यों के संचालन में नियमों का उल्लंघन करते हुए प्राइवेट कर्मियों को तैनात कर उनसे रजिस्ट्रेशन और दस्तावेजी प्रक्रियाओं में सहायता ली जा रही है। इन कर्मियों पर न केवल अवैध वसूली का आरोप है, बल्कि यह भी आरोप है कि रिश्वत की मोटी रकम अधिकारियों तक पहुंचाई जा रही है। इस घटना से स्थानीय लोगों में आक्रोश है और जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।

वीडियो में कैद हुआ रिश्वत का खेल

*घूस लेते कैमरे में कैद*

 

पर्दाफाश न्यूज 24×7 द्वारा जारी किए गए एक वीडियो में, एक प्राइवेट कर्मी को खुलेआम एक व्यक्ति से पैसे लेते हुए देखा जा सकता है। इस वीडियो के वायरल होते ही जिले में हड़कंप मच गया है। वीडियो ने इस बात को पुख्ता किया है कि कार्यालय में न केवल सरकारी नियमों की अनदेखी हो रही है, बल्कि भ्रष्टाचार को संगठित रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है।

नियमों का उल्लंघन और जनता के अधिकारों का हनन

प्राइवेट व्यक्तियों को सरकारी कार्यों में शामिल करना न केवल प्रशासनिक नियमों का सीधा उल्लंघन है, बल्कि यह आम नागरिकों के अधिकारों का भी हनन है। रजिस्ट्रेशन जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रिया में प्राइवेट कर्मियों का हस्तक्षेप और उनसे अवैध वसूली जनता को आर्थिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही है। कई नागरिकों ने शिकायत की है कि बिना रिश्वत दिए उनके दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन लंबित रखा जाता है, जिससे उन्हें अनावश्यक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

उच्च अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध

मामले में सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या यह सब उच्चाधिकारियों की जानकारी में हो रहा है या उनकी मिलीभगत से ही यह भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है। यदि अधिकारी इस मामले से अनजान हैं, तो यह उनकी लापरवाही को दर्शाता है, और यदि उनकी संलिप्तता है, तो यह भ्रष्टाचार की गंभीर स्थिति को उजागर करता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि बिना अधिकारियों की सहमति के इतना संगठित भ्रष्टाचार संभव नहीं है।

प्रशासनिक कार्रवाई की मांग

मामले के उजागर होने के बाद स्थानीय नागरिकों में गहरा आक्रोश व्याप्त है। उन्होंने उपनिबंधक कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन कर प्रशासन से दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि रजिस्ट्रेशन जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए रिश्वत देना अनैतिक और अवैध है, और इस भ्रष्टाचार को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। लोगों ने यह भी मांग की है कि कार्यालय में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए और भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

भ्रष्टाचार पर लगाम की उम्मीद

यह घटना प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार का एक और उदाहरण है, जिससे आम जनता को नुकसान उठाना पड़ रहा है। अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाती है। अगर समय रहते इस भ्रष्टाचार पर रोक नहीं लगाई गई, तो यह व्यवस्था और भी अधिक प्रभावित हो सकती है।

निष्कर्ष

उपनिबंधक कार्यालय में प्राइवेट कर्मियों के माध्यम से हो रही अवैध वसूली ने प्रशासन की साख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जनता की उम्मीद है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच कर दोषियों को दंडित किया जाएगा और भविष्य में कार्यालय में पारदर्शिता और ईमानदारी सुनिश्चित की जाएगी। जिला प्रशासन के पास यह एक अवसर है कि वह जनता का विश्वास बहाल कर भ्रष्टाचार पर कड़ी लगाम लगाए।