वैदौली ग्रामसभा का तालाब बना भूमाफिया का निशाना, फर्जी आदेशों से की गई कब्जेदारी उजागर

1969 में फर्जी आदेश से किया गया था ग्रामसभा की जमीन पर अवैध कब्जा, जिलाधिकारी ने निरस्त किया स्थानांतरण प्रार्थना पत्र
महराजगंज जनपद की निचलौल तहसील अंतर्गत ग्रामसभा वैदौली के एक ऐतिहासिक तालाब की भूमि पर अवैध तरीके से कब्जा करने का मामला सामने आया है। ग्रामसभा की खतौनी संख्या 427 में गाटा संख्या 1409/1, कुल रकबा 14.06 एकड़, वर्ष 1353 फसली से लेकर 1368 फसली तक लगातार तालाब के रूप में दर्ज रहा है। लेकिन वर्ष 1969 में बालचन्द पुत्र दूधनाथ द्वारा फर्जी आदेश प्राप्त कर इस तालाब की भूमि पर सीरदार के रूप में नाम दर्ज करा लिया गया।
प्रकरण में उल्लेखनीय है कि यह आदेश एस.डी.ओ. महराजगंज के मु. संख्या 387/03.05.1969 के माध्यम से पारित हुआ, जिसमें बिना किसी ठोस साक्ष्य के बालचन्द का नाम तालाब की भूमि पर दर्ज कर दिया गया। इसके विरोध में ग्रामसभा द्वारा अनेक बार आपत्ति दर्ज कराई गई, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि संबंधित आदेश पूर्णतः कूट रचित है और मूल खतौनी में तालाब के रूप में ही भूमि दर्ज है।
ग्राम प्रधान द्वारा जिलाधिकारी को भेजे गए आवेदन में मांग की गई थी कि फर्जी आदेश के आधार पर वर्तमान खतौनी संख्या 340, गाटा संख्या 776/3.268 हेक्टेयर में दर्ज नाम को अविलंब खारिज किया जाए और वैध रूप से तालाब की भूमि को पुनः ग्रामसभा के खाते में दर्ज किया जाए।
इस मामले में जिलाधिकारी महराजगंज श्री अनुनय झा ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए बालचन्द द्वारा प्रस्तुत स्थानांतरण प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया है। साथ ही निर्देश जारी किया गया है कि मामले का निष्पादन आगामी तीन माह के भीतर किया जाए और सभी अभिलेख न्यायालय अभिलेखागार में सुरक्षित रखे जाएं।
वर्तमान में यह मामला उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 132 व 77 के तहत चल रहा है, जिसमें यह स्पष्ट है कि कोई भी व्यक्ति तालाब जैसे सार्वजनिक स्थल की भूमि पर भूमिधर अधिकार प्राप्त नहीं कर सकता। प्रशासन की इस कार्रवाई से ग्रामसभा में संतोष की लहर है और अब पुनः सार्वजनिक संपत्ति को कब्जामुक्त कराने की उम्मीद बढ़ गई है।