मनरेगा में तस्वीरों का खेल: मधुबनी पंचायत में बिना काम के चढ़ी मजदूरी

मनरेगा में तस्वीरों का खेल: मधुबनी पंचायत में बिना काम के चढ़ी मजदूरी


पहले से पूरे हो चुके कार्यों पर दोबारा फोटो खींचकर दर्शाई गई उपस्थिति, बिना खुदाई, बिना मिट्टी—फिर भी सरकारी पैसे की बंदरबांट

 

मनोज कुमार तिवारी की रिपोर्ट –
उत्तर प्रदेश के महाराजगंज ज़िले के मिठौरा ब्लॉक की मधुबनी ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत संचालित कार्यों में भारी अनियमितता और भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। दिनांक 26 मई 2025 को दो योजनाओं में कुल 152 मजदूरों की उपस्थिति मस्टरोल में दर्ज की गई, जबकि मौके की तस्वीरें और स्थिति कुछ और ही बयां कर रही हैं।

पहला कार्य, “लक्ष्मण के घर के पीछे पोखरी का जीर्णोद्धार कार्य” तथा दूसरा कार्य, “ओरी के खेत से पारसमीर सिवान तक नहर पटरियों पर मिट्टी कार्य”, दोनों ही कार्यों के फोटो सुबह के कुछ मिनटों के अंतर पर अपलोड किए गए। पहले का फोटो 08:56 AM पर और दूसरे का 09:24 AM पर लिया गया। लेकिन फोटो में मज़दूर एक ही जगह पर, एक ही तरीके से खड़े दिखाई देते हैं, जिससे संदेह होता है कि फोटो अलग-अलग जगहों के नहीं बल्कि एक ही स्थान के हैं।

खास बात यह है कि दोनों कार्यों के लिए दूसरा आवश्यक फोटो NMMS ऐप पर अपलोड ही नहीं किया गया, जो कि एप की नियमावली का स्पष्ट उल्लंघन है। इसके अलावा, सिंचाई विभाग से ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ भी नहीं लिया गया, जो कि नहर संबंधित कार्यों के लिए अनिवार्य होता है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह एक नियमित प्रक्रिया बन चुकी है, जिसमें पूर्व में पूरे हो चुके कार्यस्थलों पर फिर से मजदूरों की हाजिरी दर्ज की जाती है, और फोटो खींचकर कार्य का प्रमाण दिखाया जाता है। फोटो में कहीं भी ताज़ी खुदाई, नई मिट्टी या हालिया कार्य की कोई स्थिति नहीं दिखती।

मजदूरों की सूची में भी गड़बड़ी है—कई नाम एक ही जॉब कार्ड पर दो-दो बार चढ़े हैं या एक ही दिन में अलग-अलग कार्यों में दर्ज हैं। यह दर्शाता है कि केवल कागज़ों पर काम करके सरकारी धन की लूट मचाई जा रही है।

“ना चले हल और ना चले कुदाली, बैठल भोजन दिहे मुरारी”—यह कहावत यहां बिल्कुल सटीक बैठती है। शासन से मांग की जा रही है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि मनरेगा की गरिमा और पारदर्शिता बनी रहे।