स्थानांतरण आदेश के बावजूद महाराजगंज में जमे एपीओ: नियमों की उड़ रही धज्जियाँ

स्थानांतरण आदेश के बावजूद महाराजगंज में जमे एपीओ: नियमों की उड़ रही धज्जियाँ

ग्राम्य विकास विभाग की स्पष्ट हिदायतों को नजरअंदाज कर वर्षों से ब्लॉकों पर डटे हैं कुछ कद्दावर अधिकारी, संरक्षणदाताओं के सहारे मिली मनचाही तैनाती

महराजगंज। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जारी स्पष्ट निर्देशों के बावजूद जनपद महाराजगंज में कई विकास खंडों पर वर्षों से जमे अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारियों (एपीओ) का स्थानांतरण नहीं हो पाया है। ग्राम्य विकास विभाग द्वारा 27 नवम्बर 2020 को जारी आदेश में कहा गया था कि तीन वर्षों से अधिक समय से एक ही विकास खंड में कार्यरत एपीओ को स्थानांतरित किया जाए ताकि निष्पक्षता बनी रहे और योजना का क्रियान्वयन पारदर्शी ढंग से हो सके।

हालांकि, इस आदेश को लागू करने में जिला प्रशासन की निष्क्रियता सामने आई है। सूत्रों की मानें तो जनपद के कुछ प्रभावशाली एपीओ जिला स्तर के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के संरक्षण में वर्षों से एक ही ब्लॉक में कार्यरत हैं। इन अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए मनचाहे ब्लॉकों में अपनी तैनाती सुनिश्चित कराई है और अब तक उनका स्थानांतरण नहीं किया गया है।

स्थानीय ग्रामीणों एवं विकास कार्यों में जुड़े कर्मचारियों का कहना है कि इन एपीओ की कार्यप्रणाली पर कई बार सवाल उठ चुके हैं, लेकिन जिला प्रशासन द्वारा हर बार मामले को दबा दिया गया। ऐसा माना जा रहा है कि ये एपीओ अपने संरक्षणदाताओं के लिए ‘कमाई’ के सशक्त माध्यम बन चुके हैं, जिसके कारण इन पर किसी प्रकार की प्रशासनिक कार्रवाई नहीं होती।

इससे न केवल मनरेगा जैसी जनकल्याणकारी योजना की साख पर असर पड़ रहा है, बल्कि विकास कार्यों में भी अनियमितता व भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है। आदेशों के अनुसार एपीओ का स्थानांतरण उसी जनपद के अन्य विकास खंडों में होना था, लेकिन यह शर्त भी कागज़ों तक सीमित रह गई है।

आयुक्त ग्राम्य विकास योगेश कुमार द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि एपीओ को तीन वर्ष से अधिक समय तक एक ही विकास खंड में न रखा जाए। इसके बावजूद महाराजगंज जैसे जनपदों में इस नियम की लगातार अनदेखी हो रही है।

अब सवाल यह उठता है कि क्या शासन द्वारा जारी किए गए निर्देश केवल कागज़ी खानापूर्ति हैं? क्या स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वह इन निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करे?

समाजसेवी संगठनों ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है और ऐसे एपीओ के तत्काल स्थानांतरण तथा दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है। यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई तो यह मामला शासन की मंशा पर ही प्रश्नचिह्न खड़ा कर देगा।

– रिपोर्ट: मनोज कुमार तिवारी , महाराजगंज