महराजगंज सहकारिता विभाग में वर्षों से जमी जड़ें: धान खरीद में घोटाले और किसानों का शोषण चरम पर

महराजगंज सहकारिता विभाग में वर्षों से जमी जड़ें: धान खरीद में घोटाले और किसानों का शोषण चरम पर

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8 वर्षों से एक ही पद पर जमे बाबू और 6 वर्षों से पटल न बदलने वाले अधिकारी पर उठे सवाल, किसानों ने की निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग

महराजगंज, उत्तर प्रदेश।
जिले के सहकारिता विभाग में लापरवाही, भ्रष्टाचार और मनमानी का खेल वर्षों से चल रहा है। अब यह मामला राज्य स्तर तक पहुंच गया है, जब केंद्रीय उपभोक्ता भंडारण सहकािता महराजगंज के डायरेक्टर अमरेन्द्र कुमार मल्ल ने मुख्यमंत्री को एक शिकायती पत्र भेजकर विभागीय अनियमितताओं का खुलासा किया है।

शिकायत में सबसे गंभीर आरोप बाबू सुशील शर्मा और  अभिषेक यादव पर लगाए गए हैं। मल्ल के अनुसार, बाबू सुशील शर्मा पिछले 8 वर्षों से एक ही स्थान पर तैनात हैं, जो राज्य सरकार की स्थानांतरण नीति का खुला उल्लंघन है। वहीं अभिषेक यादव 6 वर्षों से एक ही पटल पर बने हुए हैं और उन्हें घुघुली, सदर, विकासखंडों का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया है।

जमीनी हकीकत से कटे अधिकारी

शिकायत में कहा गया है कि अभिषेक यादव अधिकांश कार्य महराजगंज मुख्यालय से ही संचालित करते हैं और शायद ही कभी विकासखंड कार्यालयों में उपस्थित रहते हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे सचिवों को खुली छूट मिल जाती है। किसान शिकायत करते हैं कि खाद वितरण में सचिवों की मनमानी चलती है, जिससे उनका खुला शोषण होता है।

धान एवं गेहूं खरीद में व्यापक धांधली

मल्ल ने आरोप लगाया है कि धान क्रय केंद्रों पर भारी भ्रष्टाचार चल रहा है। जिले में 50 से अधिक धान क्रय केंद्र हैं, जिनकी निगरानी की जिम्मेदारी अभिषेक यादव के पास है। लेकिन इन केंद्रों पर न तो समय से खरीद होती है और न ही पारदर्शिता रहती है। चहेतों को प्रभारी नियुक्त कर विभागीय संसाधनों का दुरुपयोग किया जा रहा है।

सबसे गंभीर आर्थिक अनियमितता यह बताई गई है कि जब से अभिषेक यादव सचिव बने हैं, किसी भी क्रय केंद्र प्रभारी का वेतन सीधे खाते में नहीं भेजा गया है। यह न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह बताता है कि विभाग में आर्थिक पारदर्शिता पूरी तरह समाप्त हो चुकी है।

डीसीएफ और उपभोक्ता भंडारण भी संकट में

उल्लेखनीय है कि अभिषेक यादव के पास डीसीएफ (केंद्रीय उपभोक्ता भंडारण सहकारी लिमिटेड) और उपभोक्ता क्रय-विक्रय का भी प्रभार है। यानी धान और गेहूं दोनों क्रय केंद्रों का कार्यभार उन्हीं के पास है, जिससे पूरे जिले की खाद्यान्न खरीद व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है।

किसानों में आक्रोश

ग्रामीण किसान वर्षों से इन समस्याओं से जूझ रहे हैं। सचिवों की मनमानी, भुगतान में देरी, क्रय केंद्रों की लापरवाही और अफसरों की अनुपस्थिति से किसान बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि यदि सरकार ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो वे बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

मुख्यमंत्री से निष्पक्ष जांच की मांग

अमरेन्द्र कुमार मल्ल ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषी अधिकारियों का तत्काल स्थानांतरण किया जाए। उन्होंने जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी और मंडलायुक्त गोरखपुर को भी इस पत्र की प्रति भेजकर उचित कार्रवाई की मांग की है।

अब यह देखना होगा कि शासन इस शिकायत को कितना गंभीरता से लेता है और क्या वर्षों से जड़ जमाए बैठे अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होती है या नहीं। अगर स्थिति जस की तस रही, तो यह न सिर्फ शासन की छवि को धक्का पहुंचाएगा, बल्कि किसानों के भरोसे को भी तोड़ देगा।