महराजगंज में तैनाती आदेश पर नया विवाद: पर्यवेक्षण प्रणाली पर उठे सवाल

महराजगंज में तैनाती आदेश पर नया विवाद: पर्यवेक्षण प्रणाली पर उठे सवाल

(जिला विकास अधिकारी को खंड विकास अधिकारी का प्रभार, शासनादेश व पर्यवेक्षण व्यवस्था पर संकट)

 

महराजगंज। मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) महराजगंज द्वारा 29 जुलाई 2025 को जारी तैनाती आदेश प्रशासनिक हलकों में गहरी चर्चा का विषय बन गया है। पत्रांक / स्था० प्रथम / ख०वि०अ० / 2025-26 के अंतर्गत जारी इस आदेश में विभिन्न खंड विकास अधिकारियों (BDO) की नई तैनाती की गई, जिसमें जिला विकास अधिकारी (DDO) भोलानाथ कनौजिया को महराजगंज सदर ब्लॉक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया।

इस निर्णय ने न केवल शासनादेश के पालन पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि जिला विकास अधिकारी के पर्यवेक्षण तंत्र को लेकर भी नई बहस छेड़ दी है।

 

आदेश का विवरण

सीडीओ अनुराज जैन के हस्ताक्षर से जारी आदेश के अनुसार:

श्री संतोष कुमार – बृजमनगंज से परतावल

श्री राहुल सागर – मिठौरा से पनियरा

श्रीमती माधुरी देवी – एनआरएलएम से धानी

श्री कृष्णकांत शुक्ला – सदर से बृजमनगंज व पुनः सदर

श्री भोलानाथ कनौजिया (DDO) – अतिरिक्त प्रभार, महराजगंज सदर ब्लॉक

सभी अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से पदभार ग्रहण करने का निर्देश दिया गया है।

विवाद की असली वजह

जिला विकास अधिकारी का मुख्य कार्य पूरे जिले में खंड विकास अधिकारियों के कार्यों की पर्यवेक्षण और निगरानी करना है। अब सवाल उठता है कि:

जब पर्यवेक्षक अधिकारी (DDO) खुद ही BDO का कार्यभार संभालेगा, तो उसके कार्यों का पर्यवेक्षण कौन करेगा?

इस व्यवस्था से जवाबदेही का संकट और हितों का टकराव पैदा हो सकता है।

शासनादेश में स्पष्ट प्रावधान है कि DDO को BDO का प्रभार नहीं दिया जा सकता, फिर भी मनमानी तरीके से यह आदेश जारी किया गया।

प्रशासनिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की तैनाती से विकास योजनाओं की निगरानी कमजोर होगी और पारदर्शिता प्रभावित हो सकती है।

सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह आदेश न केवल शासनादेश का उल्लंघन है बल्कि प्रशासनिक ढांचे को कमजोर करने वाला कदम है। उन्होंने मांग की कि इस आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।

महराजगंज में यह आदेश प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। अब यह देखना होगा कि उच्चाधिकारियों द्वारा इस मामले में क्या निर्णय लिया जाता है और क्या पर्यवेक्षण प्रणाली को बनाए रखने के लिए आदेश में संशोधन किया जाता है।