ग्राम पंचायत गिरहिया में मनरेगा व ग्रामीण विकास योजनाओं पर सवाल, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े करोड़ों रुपये

ग्राम पंचायत गिरहिया में मनरेगा व ग्रामीण विकास योजनाओं पर सवाल, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े करोड़ों रुपये

महराजगंज। उत्तर प्रदेश के महराजगंज ज़िले के निचलौल ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत गिरहिया में मनरेगा एवं ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं के क्रियान्वयन पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। सामाजिक अंकेक्षण रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि वर्ष 2024-25 के दौरान करोड़ों रुपये खर्च दिखाए जाने के बावजूद ज़्यादातर कार्य धरातल पर नहीं दिख रहे। ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान, रोजगार सेवक और विभागीय अधिकारी मिलकर योजनाओं को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा रहे हैं।

योजनाओं पर करोड़ों का खर्च, नतीजा नगण्य

सामाजिक अंकेक्षण अवधि 4 जनवरी 2024 से 31 मार्च 2025 तक रही। इस दौरान ग्राम पंचायत गिरहिया में 35.66 लाख रुपये अकुशल मजदूरी, 3.05 लाख रुपये कुशल मजदूरी और 27.34 लाख रुपये सामग्री पर खर्च दर्ज किया गया। योजनाओं में उचित दर की दुकान, जनसुविधा केंद्र, विद्यालय में बाउंड्री वॉल, नाली निर्माण, वृक्षारोपण तथा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दर्जनों आवास निर्माण शामिल हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक़ प्रत्येक आवास निर्माण कार्य पर औसतन 3792 रुपये से लेकर 4740 रुपये तक मजदूरी व्यय दर्ज किया गया। वहीं, वृक्षारोपण कार्य के लिए लाखों रुपये खर्च दिखाए गए। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि ज़्यादातर जगह वृक्षारोपण कागज़ों में ही सीमित रहा और कई आवास अधूरे हैं।

ग्रामीणों ने उठाए सवाल

ग्रामवासियों ने बताया कि विकास कार्यों के नाम पर केवल कागज़ी खानापूर्ति हो रही है। नाली निर्माण कार्य जोगिन्द्र से रणजीत घर तक अधूरा पड़ा है, वहीं विद्यालय में बनाई गई बाउंड्री वॉल की गुणवत्ता बेहद खराब है। उचित दर की दुकान और जनसुविधा केंद्र का निर्माण भी मानक के अनुरूप नहीं है।

ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान और रोजगार सेवक ने मिलीभगत कर योजनाओं की धनराशि का दुरुपयोग किया है। मज़दूरी का भुगतान वास्तविक मज़दूरों तक नहीं पहुँच सका और फर्जी जॉब कार्ड के ज़रिए रकम हड़प ली गई।

भ्रष्टाचार का जाल

सूत्रों के अनुसार, योजनाओं की यूनिक आईडी और खर्च का पूरा ब्योरा ऑनलाइन दर्ज है, लेकिन ज़मीन पर इनका कोई प्रमाण नहीं है। सामाजिक अंकेक्षण टीम ने भी कई गड़बड़ियों की ओर इशारा किया है। यह भी सामने आया कि कई कामों की तिथियाँ और व्यय राशि तो दर्ज कर दी गईं, मगर स्थल पर कोई कार्य ही नहीं हुआ।

प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY-G/IAY) में भी बड़ी धांधली का आरोप है। कई पात्र गरीबों को आवास नहीं मिला, जबकि अपात्र लोगों के नाम पर राशि निकाल ली गई। वृक्षारोपण के नाम पर गड्ढे तो खोदे गए, लेकिन पौधे ही नहीं लगाए गए।

पारदर्शिता पर सवाल

ग्रामीणों का कहना है कि यदि योजनाओं का सही तरह से क्रियान्वयन होता, तो गाँव का नक्शा बदल सकता था। नाली निर्माण से स्वच्छता में सुधार होता, वृक्षारोपण से हरियाली बढ़ती और आवास योजना से गरीब परिवारों को पक्का मकान मिलता। लेकिन भ्रष्टाचार की वजह से सब कुछ अधूरा रह गया।

जाँच की माँग

ग्रामीणों ने ज़िलाधिकारी महराजगंज और मनरेगा प्राधिकरण से मांग की है कि ग्राम पंचायत गिरहिया में हुए सभी कार्यों की स्वतंत्र जाँच कराई जाए। साथ ही, दोषी ग्राम प्रधान, रोजगार सेवक और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो। ग्रामीणों का कहना है कि यदि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित नहीं हुई तो वे बड़े आंदोलन की राह अपनाने को बाध्य होंगे।

 

ग्राम पंचायत गिरहिया की यह स्थिति केवल एक गाँव की नहीं, बल्कि प्रदेश के कई गाँवों की हकीकत बयां करती है, जहाँ सरकारी योजनाओं का धन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद गाँव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। सवाल यह है कि जब तक जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक क्या ग्रामीण विकास योजनाएँ वास्तव में अपने उद्देश्य को पूरा कर पाएँगी?

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