सिसवा ब्लॉक में मनरेगा की खुली लूट: पहले से पूर्ण कार्यों पर सैकड़ों मजदूर दिखाकर सरकारी धन का दुरुपयोग

महराजगंज। जनपद के सिसवा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत पकड़ी सिसवा में मनरेगा योजना के तहत बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायत द्वारा कराए गए दो अलग-अलग कार्यों में पहले से पूर्ण कार्यों पर दर्जनों मजदूरों की फर्जी उपस्थिति दर्ज कर सरकारी धन के गबन का गंभीर आरोप लगा है।

पहला मामला क्षेत्र पंचायत द्वारा संचालित कार्य “अलोक पटेल के खेत से परसुराम के खेत तक चकनाली व ट्रेन सफाई कार्य” से जुड़ा है।

एनएमएमएस ऐप के अनुसार दिनांक 12 दिसंबर 2025 को इस कार्य में 7 मास्टरों के माध्यम से कुल 64 मजदूर लगाए गए। जबकि अपलोड की गई ग्रुप फोटो में 64 के सापेक्ष बहुत ही कम मजदूर दिखाई दे रहे हैं। सबसे अहम तथ्य यह है कि यह कार्य पहले ही पूर्ण किया जा चुका था, ऐसे में मजदूरों की आवश्यकता ही नहीं थी।

यदि कागजों में दर्शाए गए मजदूरों से प्रति व्यक्ति ढाई घन मीटर मिट्टी कार्य का हिसाब लगाया जाए, तो कुल खुदाई का आयतन उस ट्रेन (नाली/ड्रेन) के गड्ढे से कहीं अधिक बैठता है, जिससे स्पष्ट है कि मजदूरी भुगतान केवल कागजों में दिखाने के लिए किया जा रहा है। इससे ट्रेन के अस्तित्व पर भी सवालिया निशान खड़ा हो गया है।

इसी ग्राम पंचायत में ग्राम पंचायत स्तर पर कराए गए दूसरे कार्य “संतोष के खेत से तुलसी के खेत होते हुए राजवंत के खेत तक चकबंध पर मिट्टी कार्य” में भी इसी प्रकार की अनियमितता सामने आई है। इस कार्य में 47 मजदूरों की उपस्थिति दर्ज की गई, जबकि मौके पर कार्य पहले ही पूर्ण हो चुका था। अपलोड फोटो का अवलोकन करने पर साफ प्रतीत होता है कि केवल फोटो खींचकर मास्टर रोल चलाया जा रहा है।

दोनों कार्यों में फोटो एक ही पंचायत स्तर की कर्मचारी द्वारा ली गई है और दोनों में दूसरी फोटो अपलोड नहीं की गई, जो एनएमएमएस गाइडलाइन के उल्लंघन को दर्शाता है।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस पूरे मामले में एपीओ सिसवा, ग्राम प्रधान, और रोजगार सेवक की गहरी मिलीभगत है। उल्लेखनीय है कि सिसवा ब्लॉक पहले भी मनरेगा घोटालों को लेकर सुर्खियों में रहा है और पूर्व के कार्यों की जांच लोकायुक्त के यहां पहले से ही लंबित है।

अब सवाल यह है कि प्रशासन इस नए खुलासे पर क्या कार्रवाई करता है, या मनरेगा योजना यूं ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती रहेगी।

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