पंचायती राज विभाग की अनदेखी से बढ़ता भ्रष्टाचार: सिसवा घुघूली के बाद परतावल में फर्जी बिलों का खुलासा

पंचायती राज विभाग की अनदेखी से बढ़ता भ्रष्टाचार: सिसवा घुघूली के बाद परतावल में फर्जी बिलों का खुलासा

सचिवों और ग्राम प्रधानों की मिलीभगत से पिपरपाती ग्राम सभा में लाखों का हेरफेर, ई-स्वराज पोर्टल से खुली पोल

ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में घुघूली ब्लॉक में पंचायती राज के अंतर्गत भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ था, जहां भुवनी ग्राम पंचायत में दिनांक रहित बिलों का भुगतान किया गया। अब एक और नया मामला सामने आया है, जो परतावल ब्लॉक के पिपरपाती ग्राम सभा से जुड़ा है। ई-स्वराज पोर्टल पर जांच के दौरान यहां भी कई फर्जी बिलों का खुलासा हुआ है।

जांच के दौरान सामने आया कि 22 जून 2024 को एम एस इंटरप्राइजेज के नाम से 22,890 रुपये का दिनांक रहित बिल बिना सचिव, ग्राम प्रधान और फर्म के हस्ताक्षर के भी पोर्टल पर अपलोड कर भुगतान किया गया। इसके बाद 10 सितंबर 2024 को कई फर्जी बिलों का भुगतान किया गया, जिनमें जयसवाल खाद बिल्डिंग मटेरियल और हार्डवेयर श्यामदेउरवा और आजाद डिजिटल फोटो के नाम पर बिना आवश्यक हस्ताक्षर के ही धनराशि जारी की गई। इनमें से कुछ बिलों पर केवल सचिव विकास सिंह के हस्ताक्षर थे, जबकि कुछ पर केवल ग्राम प्रधान मालती देवी के। नियमों के अनुसार किसी भी ग्राम सभा के भुगतान में सचिव और प्रधान दोनों के हस्ताक्षर अनिवार्य होते हैं, लेकिन इसे नजरअंदाज कर धनराशि का हेरफेर किया गया।

 

 

 

 

पंचायती राज विभाग के नियमों के मुताबिक, प्रत्येक ग्राम पंचायत में पंचायत सहायक द्वारा भुगतान की प्रक्रिया पूरी की जाती है। इस दौरान प्रधान और सचिव दोनों की बराबर की भागीदारी आवश्यक होती है, लेकिन इस मामले में सचिव और प्रधान ने अपनी सुविधा अनुसार बिना एक-दूसरे के हस्ताक्षर के भुगतान कर दिया। इसके अलावा मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों के भुगतान में भी गड़बड़ियां सामने आई हैं। इन वाउचरों पर केवल ग्राम प्रधान मालती देवी के हस्ताक्षर थे, जबकि सचिव के हस्ताक्षर भी अनिवार्य होते हैं।

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ग्राम पंचायतों में हो रहे इस भ्रष्टाचार का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि एक ही फर्म को कई प्रकार के सामानों की आपूर्ति का जिम्मा दे दिया गया है। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि कई फर्म केवल कागजों पर ही बनी हुई हैं और उनकी वास्तविक स्थिति में कोई दुकान या व्यवसायिक गतिविधि नहीं है। इन फर्जी फर्मों द्वारा स्वराज पोर्टल पर अपलोड किए गए बिलों का भुगतान धड़ल्ले से किया जा रहा है।

जब इस संदर्भ में ग्राम सभा के तैनात सचिव विकास सिंह से संपर्क करने का प्रयास किया गया, तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। वहीं, एडीओ पंचायत परतावल से बात करने पर उन्होंने कहा कि मामले की जांच की जाएगी, लेकिन इसके बावजूद अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

जयसवाल बिल्डिंग मटेरियल और हार्डवेयर के मालिक से बात करने पर उन्होंने बताया कि वे बिल काटकर देते हैं और सचिव और प्रधान अपने हिसाब से उसमें दिनांक भरते हैं। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि ग्राम पंचायतों में किस प्रकार की धांधली की जा रही है।

इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर से पंचायतों में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पंचायती राज विभाग इस मामले में क्या कदम उठाता है और दोषियों पर किस प्रकार की कार्रवाई होती है।