सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: बिना नोटिस मकान गिराने पर अफसरों की हिटलरशाही को दी सख्त चेतावनी
उत्तर प्रदेश में बड़े अफसरों पर एफआईआर, गिरफ्तारी की तलवार लटकी
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 6 नवंबर को एक ऐतिहासिक फैसले में उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले में बिना नोटिस मकान गिराने के मामले में कड़ी टिप्पणी की। देश के वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश की याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसे “हिटलरशाही” करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बिना नोटिस और समय दिए मकान गिराने की यह प्रक्रिया कानून के राज का उल्लंघन है।
महराजगंज में वरिष्ठ पत्रकार का मकान गिराने का मामला
सितंबर 2019 में महराजगंज जिले में वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश के पैतृक मकान को बिना नोटिस और समय दिए गिरा दिया गया। इस घटना को अवैध करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के मुख्य सचिव को दोषी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि एक महीने के भीतर सभी कार्रवाइयों की रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की जाए।
अधिकारियों पर एफआईआर और गिरफ्तारी की तलवार
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद महराजगंज जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी अमरनाथ उपाध्याय सहित कुल 26 अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। एफआईआर में पुलिस, इंजीनियरिंग विभाग, नगर पालिका के अधिकारी और अन्य विभागों के कर्मचारियों के नाम शामिल हैं।
एफआईआर में सबसे बड़ा नाम तत्कालीन जिलाधिकारी अमरनाथ उपाध्याय का है। इसके अलावा अपर जिलाधिकारी कुंज बिहारी अग्रवाल, अधिशासी अधिकारी राजेश जयसवाल, पुलिस अधीक्षक, अधिशासी अभियंता, और अन्य पुलिसकर्मियों समेत कई अधिकारियों के नाम दर्ज किए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियां
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “किसी भी नागरिक का मकान गिराने से पहले कानूनी प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है। बिना नोटिस और समय दिए मकान गिराना हिटलरशाही का प्रतीक है। यह कानून के राज की अवहेलना है और अस्वीकार्य है।”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार और अधिकारियों का यह रवैया लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरनाक है। कोर्ट ने यह भी कहा कि जहां कानून का राज नहीं है, वहां अराजकता हावी होती है।
देश के सभी राज्यों को सख्त निर्देश
इस मामले में सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि किसी भी तरह के अतिक्रमण को हटाने के दौरान कानून के दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए।
एफआईआर में दर्ज नामों की सूची
एफआईआर में महराजगंज जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी अमरनाथ उपाध्याय, अपर जिलाधिकारी कुंज बिहारी अग्रवाल, अधिशासी अधिकारी राजेश जयसवाल, अधिशासी अभियंता मणिकांत अग्रवाल, पुलिस अधीक्षक आशुतोष शुक्ल, निरीक्षक राजन श्रीवास्तव समेत कुल 26 लोगों के नाम दर्ज किए गए हैं। इनके अलावा नगर पालिका और लोक निर्माण विभाग के कई अधिकारियों पर भी मामले दर्ज किए गए हैं।
मनोज टिबड़ेवाल आकाश की याचिका पर फैसला
मनोज टिबड़ेवाल आकाश ने सुप्रीम कोर्ट में पत्र के माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज कराई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पत्र को स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे सुनवाई के लिए स्वीकार किया। अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद पाया कि मकान गिराने की प्रक्रिया पूरी तरह अवैध और गैर-कानूनी थी।
गिरफ्तारी और जेल का रास्ता साफ
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब जिन 26 दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। इन अधिकारियों और कर्मचारियों के जेल जाने का रास्ता भी साफ हो गया है।
न्यायपालिका का मजबूत संदेश
यह फैसला न्यायपालिका की ओर से नागरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक बड़ा संदेश है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी अधिकारी और कर्मचारी भी कानून से ऊपर नहीं हैं।
सुनवाई में शामिल जज और उनकी टिप्पणियां
सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस जेबी पार्डिवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे। तीनों जजों ने इस मामले में अधिकारियों के रवैये को गैर-कानूनी और अमानवीय बताया।
क्या कहते हैं कानूनी विशेषज्ञ?
कनूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला भारत में कानूनी प्रक्रिया के महत्व को पुनः स्थापित करता है। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा, “यह फैसला नागरिक अधिकारों की रक्षा और सरकारी मनमानी पर रोक लगाने में मील का पत्थर साबित होगा।”
देशभर में चर्चा का विषय
यह मामला अब देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। पत्रकारों और नागरिक संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह फैसला नागरिकों के अधिकारों की रक्षा में ऐतिहासिक भूमिका निभाएगा।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को उनके कर्तव्यों और कानून के प्रति जवाबदेही की सख्त याद दिलाता है। यह न केवल मनोज टिबड़ेवाल आकाश के लिए न्याय की जीत है, बल्कि देश के हर नागरिक के लिए यह एक मिसाल है कि कानून से ऊपर कोई नहीं।