लोक आस्था का पर्व: गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी महोत्सव पर लाखों श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ मुख्यमंत्री और विधायकों ने भी लिया भाग, मकर संक्रांति के महत्व पर हुई चर्चा

लोक आस्था का पर्व: गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी महोत्सव पर लाखों श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
मुख्यमंत्री और विधायकों ने भी लिया भाग, मकर संक्रांति के महत्व पर हुई चर्चा

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गोरखपुर, उत्तर प्रदेश: लोक आस्था के प्रतीक मकर संक्रांति पर्व पर गोरखनाथ मंदिर में हर वर्ष की तरह इस बार भी खिचड़ी महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बने इस आयोजन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और तमाम विधायकों ने भाग लिया। श्रद्धालुओं ने न केवल पूजा-अर्चना की, बल्कि गोरखनाथ मंदिर की परंपरा और धार्मिक महत्व पर भी प्रकाश डाला।

गोरखनाथ मंदिर की ऐतिहासिक परंपरा

गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा कई शताब्दियों पुरानी है। यह पर्व गुरु गोरखनाथ और उनकी शिक्षाओं को समर्पित है। मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन यहां खिचड़ी चढ़ाने से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इस परंपरा की शुरुआत नाथ संप्रदाय के अनुयायियों द्वारा की गई थी, और आज यह आयोजन जनमानस के बीच श्रद्धा का प्रमुख केंद्र बन गया है।

लाखों श्रद्धालुओं का जमावड़ा

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इस वर्ष भी गोरखनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। देशभर से लोग यहां आकर खिचड़ी चढ़ाते हैं और भगवान गोरखनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मंदिर प्रांगण में भक्तों की लंबी कतारें देखी गईं, जिनमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग उत्साह के साथ शामिल हुए। प्रशासन द्वारा भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।

मुख्यमंत्री और विधायकों की उपस्थिति

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जो स्वयं गोरखनाथ मंदिर के महंत भी हैं, ने इस अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना की। उनके साथ कई मंत्री और विधायकों ने भी मंदिर पहुंचकर खिचड़ी चढ़ाई। मुख्यमंत्री ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा, “यह पर्व भारतीय संस्कृति और परंपराओं की जड़ों से जुड़ने का संदेश देता है। गोरखनाथ मंदिर का यह आयोजन हमारी आध्यात्मिक धरोहर को जीवित रखे हुए है।”

खिचड़ी का विशेष महत्व

मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का विशेष महत्व है। इस दिन तिल, गुड़ और खिचड़ी का दान पुण्य फलदायक माना जाता है। गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने के बाद इसे प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। मंदिर परिसर में बड़ी मात्रा में खिचड़ी का प्रसाद बनाया गया, जिसे श्रद्धालुओं में बांटा गया।

धार्मिक ग्रंथों में मकर संक्रांति का वर्णन

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मकर संक्रांति का उल्लेख वेदों और पुराणों में विस्तार से किया गया है। विष्णु पुराण और नारद पुराण के अनुसार, मकर संक्रांति पर स्नान, दान और पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है। गोरखनाथ मंदिर में इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव और सूर्य की पूजा की जाती है।

उत्तरायण और खिचड़ी पर्व का महत्व

 

मकर संक्रांति पर सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता है। यह परिवर्तन शुभ और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। इस अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में दीप प्रज्वलित कर भगवान शिव की आराधना की जाती है। खिचड़ी पर्व न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह समाज में एकता, सह-अस्तित्व और सहयोग का संदेश देता है।

गोरखपुर में आयोजन की भव्यता

गोरखपुर शहर में इस आयोजन को लेकर अलग ही उत्साह देखने को मिला। जगह-जगह मेले और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित खिचड़ी मेले में लाखों लोग शामिल हुए। मेले में स्थानीय हस्तशिल्प, खान-पान और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का भरपूर आनंद लिया गया।

श्रद्धालुओं की आस्था और उल्लास

 

श्रद्धालुओं का कहना है कि गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वाराणसी से आई एक श्रद्धालु सुनीता देवी ने कहा, “यहां आकर मन को शांति मिलती है। मकर संक्रांति पर गोरखनाथ मंदिर आना हमारी परंपरा बन गई है।”

धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन

 

मंदिर में सुबह से लेकर रात तक धार्मिक अनुष्ठान होते रहे। पुजारियों ने मंत्रोच्चार के बीच भगवान गोरखनाथ की पूजा-अर्चना कराई। इस अवसर पर मंदिर को दीपों और फूलों से सजाया गया था।

सामाजिक संदेश

खिचड़ी महोत्सव के जरिए समाज में दान और सेवा का महत्व भी बताया गया। मंदिर प्रशासन ने गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और कपड़े वितरित किए। मुख्यमंत्री ने कहा, “मकर संक्रांति का पर्व हमें समाज के वंचित वर्गों की सेवा और सहयोग का संदेश देता है।”

खिचड़ी पर्व और भारतीय संस्कृति

गोरखनाथ मंदिर में आयोजित खिचड़ी महोत्सव भारतीय संस्कृति और परंपराओं का जीवंत उदाहरण है। यह आयोजन न केवल धर्म और आस्था को बढ़ावा देता है, बल्कि समाज में सद्भावना और एकता का संदेश भी देता है। लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि गोरखनाथ मंदिर का महत्व न केवल स्थानीय, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी है।

समापन

गोरखनाथ मंदिर में मकर संक्रांति का यह आयोजन आस्था, परंपरा और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ और धार्मिक अनुष्ठानों ने इस पर्व को और अधिक भव्य बना दिया। गोरखपुर का खिचड़ी महोत्सव न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अनूठा है।