एमडीएम घोटाला और शासकीय धन गबन का मामला गरमाया

एमडीएम घोटाला और शासकीय धन गबन का मामला गरमाया

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प्रधानाध्यापक निलंबित, अन्य अधिकारियों पर भी कार्रवाई की माँग

महराजगंज। जनपद के प्राथमिक विद्यालय पुरैना खण्डी चौरा, क्षेत्र घुघली में शासकीय धन के गबन और एमडीएम (मिड-डे मील) में अनियमितता का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। विद्यालय के प्रधानाध्यापक अशोक कुमार सिंह को इस घोटाले में प्रथम दृष्टया दोषी पाते हुए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) महराजगंज ने निलंबित कर दिया है। हालाँकि, पत्रकार मनोज कुमार तिवारी ने इस कार्रवाई को अधूरी बताते हुए अन्य दोषी अधिकारियों पर भी सख्त कदम उठाने की माँग की है।

कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?

खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा बीएसए कार्यालय को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार, 7 दिसंबर 2024 को विद्यालय का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान एमडीएम पंजिका की जाँच में पता चला कि लाभान्वित छात्रों की संख्या अधिक दर्ज की जा रही थी। पंजिका में तीन दिन पहले 156 से 157 छात्र दर्ज किए गए थे, जबकि निरीक्षण के दिन केवल 74 छात्र ही उपस्थित थे। इससे स्पष्ट हुआ कि एमडीएम योजना में हेराफेरी की जा रही थी।

इसके अलावा, विद्यालय में चाहरदिवारी निर्माण के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 में ₹4,42,000 स्वीकृत किए गए थे, लेकिन वास्तविकता में इस धनराशि का सही उपयोग नहीं हुआ। प्रधानाध्यापक ने पहले से बनी चाहरदिवारी पर केवल रंगाई-पुताई और कंटीले तार लगाकर धनराशि का उपभोग दिखा दिया, जबकि इस राशि से 120 मीटर नई चाहरदिवारी का निर्माण होना था।

निलंबन के बाद उठे सवाल

जब यह मामला प्रकाश में आया, तो बीएसए महराजगंज ने प्रधानाध्यापक को कारण बताओ नोटिस जारी किया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद 7 फरवरी 2025 को उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया और ब्लॉक संसाधन केंद्र, घुघली में सम्बद्ध कर दिया गया।

हालाँकि, इस कार्रवाई से संतुष्ट न होकर पत्रकार मनोज कुमार तिवारी ने उत्तर प्रदेश के स्कूल शिक्षा महानिदेशक को पत्र लिखकर अन्य अधिकारियों पर भी कार्यवाही की माँग की है। उनका आरोप है कि इस गबन में खंड शिक्षा अधिकारी और अन्य उच्च अधिकारी भी संलिप्त हैं, लेकिन उनके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया गया।

क्या होगी आगे की कार्रवाई?

इस मामले में खंड शिक्षा अधिकारी, पनियरा को जाँच अधिकारी नियुक्त किया गया है, जिन्हें विस्तृत जाँच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। यदि आगे की जाँच में अन्य अधिकारियों की संलिप्तता सिद्ध होती है, तो उनके खिलाफ भी विभागीय और कानूनी कार्यवाही हो सकती है।

घोटाले की खबर के बाद जिले में अन्य विद्यालयों की भी गहन जाँच शुरू कर दी गई है, जिससे शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। स्थानीय लोग और अभिभावक भी इस मामले में सख्त कार्रवाई की माँग कर रहे हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन इस पूरे मामले में कितनी पारदर्शिता से कार्यवाही करता है।