तिरुपति गैलेक्सी में भ्रष्टाचार का गढ़, चौरसिया परिवार पर गंभीर आरोप

तिरुपति गैलेक्सी में भ्रष्टाचार का गढ़, चौरसिया परिवार पर गंभीर आरोप

गोरखपुर। शहर में अवैध कॉलोनियों और रियल एस्टेट घोटालों का पर्याय बन चुके तिरुपति गैलेक्सी का नाम एक बार फिर सुर्खियों में है। कुछ समय पूर्व गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने इस कॉलोनी में की जा रही अवैध प्लॉटिंग को ध्वस्त कर करोड़ों रुपये के खेल का पर्दाफाश किया था। अब इस प्रोजेक्ट का सीधा संबंध सिसवा नगर पालिका के चर्चित चौरसिया परिवार से जोड़ा जा रहा है। आरोप है कि तिरुपति गैलेक्सी की वास्तविक मालकिन निर्मला चौरसिया हैं, जो कथित तौर पर स्थानीय व्यापारी अभिनाश चौरसिया की पत्नी हैं।

जीडीए की कार्रवाई बनी उदाहरण

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कुछ समय पूर्व हुई इस कार्रवाई में चिलुआताल थाना क्षेत्र के ग्राम विशुनपुर और देवकली में अवैध कॉलोनी को गिराया गया। बताया जाता है कि विजय गुप्ता की छह एकड़ और वंशधारी सिंह की दो एकड़ भूमि पर बिना जीडीए से मानचित्र स्वीकृति लिए कॉलोनी काटी जा रही थी। नियमानुसार मानचित्र की स्वीकृति अनिवार्य है, लेकिन तिरुपति गैलेक्सी प्रबंधन ने इसे पूरी तरह नजरअंदाज कर अवैध प्लॉटिंग शुरू कर दी थी। प्रभारी मुख्य अभियंता किशन सिंह और पीठासीन अधिकारी प्रखम उत्तम के नेतृत्व में हुई इस कार्यवाही में पुलिस बल भी तैनात रहा।

निवेशकों से करोड़ों की ठगी

स्थानीय लोगों और निवेशकों का आरोप है कि तिरुपति गैलेक्सी ने कई सौ प्लॉट्स बेचकर करोड़ों रुपये वसूले, लेकिन अब तक अधिकांश खरीदारों को न तो रजिस्ट्री दी गई और न ही जमीन का कब्जा। लोग वर्षों से इसके दफ्तर का चक्कर काट रहे हैं। निवेशकों के मुताबिक, यह दफ्तर केवल “झांसा देने” के लिए चलाया जाता था। जीडीए की कार्रवाई ने इस धोखाधड़ी की हकीकत उजागर कर दी है।

अनुसूचित जाति और गरीबों की जमीन पर कब्जे के आरोप

ग्रामीणों का आरोप है कि तिरुपति गैलेक्सी ने अनुसूचित जाति और कमजोर वर्ग के लोगों की जमीन पर अवैध कब्जा कर कॉलोनी का विस्तार किया। स्थानीय लोगों के मुताबिक, दबंगई और राजनीतिक पकड़ के दम पर यह कारोबार वर्षों से फल-फूल रहा था।

बरवां द्वारिका विवाद से जुड़ा चौरसिया परिवार

चौरसिया परिवार का नाम हाल ही में सिसवा नगर पालिका के बरवां द्वारिका कांड में भी सामने आया था। वहां एक कथित महिला विवाद को लेकर हुई मारपीट ने राजनीतिक रंग ले लिया था। इस प्रकरण में पूर्वांचल किसान यूनियन ने चौरसिया परिवार पर गंभीर आरोप लगाए और आंदोलन की चेतावनी दी थी। अब तिरुपति गैलेक्सी के अवैध कारोबार में इनका नाम सामने आने के बाद भ्रष्टाचार और चरित्रगत विवाद दोनों ही कारणों से यह परिवार चर्चा में है।

प्रशासन की सख्ती, लेकिन निवेशकों की चिंता बरकरार

जीडीए अधिकारियों ने साफ किया है कि बिना मानचित्र स्वीकृति के कोई भी कॉलोनी मान्य नहीं है और भविष्य में भी अवैध कॉलोनियों पर इसी तरह की कार्रवाई की जाएगी। हालांकि निवेशकों में गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि उनकी जिंदगी की जमा पूंजी तिरुपति गैलेक्सी में फंस गई है। न तो उन्हें प्लॉट मिला और न ही पैसा वापस किया गया।

गोरखपुर में जीडीए की यह कार्रवाई निश्चित रूप से अवैध कॉलोनियों के खिलाफ कड़ा संदेश है, लेकिन अब सवाल यह है कि क्या तिरुपति गैलेक्सी और उससे जुड़े चौरसिया परिवार के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई होगी या मामला हमेशा की तरह दबा दिया जाएगा।

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