महराजगंज में मनरेगा घोटाले का बड़ा खुलासा, ग्राम विकास अधिकारी निलंबित – कई ब्लॉकों में करोड़ों की अनियमितताएँ उजागर

महराजगंज में मनरेगा घोटाले का बड़ा खुलासा, ग्राम विकास अधिकारी निलंबित – कई ब्लॉकों में करोड़ों की अनियमितताएँ उजागर

महराजगंज।
जिले में मनरेगा योजनान्तर्गत करोड़ों रुपये के फर्जी भुगतान और कार्यों में भारी अनियमितताओं का मामला अब और गहराता जा रहा है। श्री उमेश प्रसाद द्वारा प्रस्तुत शिकायती प्रार्थना पत्र के आधार पर की गई जांच में विकास खण्ड सदर, घुघुली और परतावल के विभिन्न ग्राम पंचायतों में भारी गड़बड़ियां सामने आई हैं। जांच रिपोर्ट में दर्ज अनियमितताओं ने जिले के प्रशासनिक तंत्र को हिलाकर रख दिया है।

परतावल ब्लॉक का मामला

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जांच बिंदु संख्या-1 के अनुसार, विकास खण्ड परतावल की ग्राम पंचायत बरियारपुर में बिना कार्य कराए पोखरी सुंदरीकरण के नाम पर वित्तीय वर्ष 2018-19 में 25.87 लाख रुपये की वित्तीय अनियमितता सामने आई। स्थलीय निरीक्षण में पाया गया कि तालाब कार्य की आईडी बनाई गई और एमआर जारी भी हुआ, लेकिन स्थल पर कोई कार्य नहीं किया गया। इसके बावजूद सामग्री मद में 12.12 लाख और श्रम मद में 13.75 लाख का भुगतान दर्शाया गया। यहां तक कि 7560 मानव दिवस का कूट रचना कर सृजन भी किया गया। यह भी पाया गया कि डीपीसी लॉग इन से आईडी को बार-बार फ्रीज और अनफ्रीज कर भुगतान किया गया।

घुघुली ब्लॉक की गड़बड़ियाँ

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बिंदु संख्या-2 के तहत, घुघुली ब्लॉक की कई ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजनाओं के तहत करोड़ों का फर्जी भुगतान सामने आया।

बरगदवा माधोपुर में राजेन्द्र तिवारी के घर तक इंटरलाकिंग कार्य के लिए 3.91 लाख की स्वीकृति थी, लेकिन 17.66 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया।

इसी ग्राम में राजेश के घर से नहर तक कार्य हेतु 3.98 लाख स्वीकृत था, लेकिन 14.65 लाख रुपये खर्च दिखाए गए।

ग्राम भुवनी में गोमल यादव से दिनेश गौड़ के घर तक कार्य के लिए मात्र 4.44 लाख की स्वीकृति थी, जबकि 21.52 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया।

रामधनी से सरला के घर तक इंटरलाकिंग कार्य में 10 लाख रुपये से अधिक का अतिरिक्त भुगतान हुआ।

भुवना ग्राम पंचायत में मेन रोड से विनोद सिंह के घर तक कार्य हेतु 3.14 लाख की स्वीकृति थी, जबकि 22.96 लाख रुपये का भुगतान दर्शाया गया।

अमोड़ा ग्राम पंचायत में खड़ंजा कार्य हेतु 4.98 लाख की स्वीकृति के बावजूद 9.53 लाख का भुगतान किया गया।

इन मामलों में स्पष्ट रूप से स्वीकृति से कई गुना अधिक भुगतान कर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया।

जोगिया ग्राम पंचायत की स्थिति

ग्राम पंचायत जोगिया में भी अनियमितताओं का बड़ा मामला सामने आया।

वर्ष 2019-20 में पार्क और बाउंड्रीवाल के लिए 6.35 लाख स्वीकृत था, 5.30 लाख का भुगतान भी हुआ और कार्य आंशिक रूप से दिखा।

वर्ष 2020-21 में पार्क इंटरलाकिंग के लिए 3.48 लाख स्वीकृत था और 3.38 लाख का भुगतान हुआ।

लेकिन पंचायत भवन की बाउंड्रीवाल हेतु 4.76 लाख की स्वीकृति के बावजूद 4.84 लाख का भुगतान हुआ, जबकि मौके पर कोई कार्य नहीं पाया गया।

इसी ग्राम में टैक्सी स्टैंड पुल से खेत तक नाला कार्य हेतु 3.96 लाख की स्वीकृति थी, 3.88 लाख का भुगतान भी हुआ, लेकिन स्थल पर कार्य अस्तित्व में ही नहीं है।

सदर ब्लॉक के मामले

बिंदु संख्या-3 के अनुसार, ग्राम पंचायत तरकुलवा (जो अब नगर पालिका परिषद में सम्मिलित है) में वित्तीय वर्ष 2019-20 में सौरहा पोखरी खुदाई कार्य के नाम पर 38 लाख रुपये का फर्जी भुगतान हुआ। जांच में पाया गया कि गांव में ‘सौरहा पोखरी’ नाम की कोई पोखरी मौजूद ही नहीं है। फिर भी वन विभाग और अमन ट्रेडिंग कम्पनी के माध्यम से भुगतान दर्शाया गया।

इसी तरह, ग्राम पंचायत चेहरी में वर्ष 2022-23 व 2023-24 में 1.02 करोड़ रुपये का कार्य दर्शाया गया है, जिसकी सत्यता पर भी सवाल उठे हैं।

फिरोज आलम का निलंबन

इन्हीं जांच बिंदुओं में ग्राम पंचायत जोगिया से संबंधित प्रकरण में ग्राम विकास अधिकारी फिरोज आलम को दोषी पाया गया। उनके खिलाफ यह पाया गया कि ग्राम पंचायत भवन की बाउंड्रीवाल और नाला निर्माण कार्य के नाम पर लाखों रुपये का भुगतान हुआ, जबकि स्थल पर कोई कार्य नहीं कराया गया। इसी आधार पर जिला विकास अधिकारी भोलानाथ कन्नौजिया ने उपायुक्त (श्रम एवं रोजगार) महराजगंज के निर्देश पर श्री आलम को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।

निलंबन अवधि में उन्हें नियमों के तहत जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा। साथ ही खण्ड विकास अधिकारी परतावल को जांच अधिकारी नियुक्त कर 15 दिन में आरोप पत्र तैयार करने का निर्देश दिया गया है।

आगे की कार्रवाई

जांच आख्या को लोकायुक्त जांच से भी जोड़ा गया है और उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भेजी गई है। अपर आयुक्त, कोषागार एवं पेंशन, गोरखपुर मंडल और अपर आयुक्त (न्यायिक) प्रथम को भी प्रतिलिपि प्रेषित की गई है। अब देखना यह है कि इस मामले की गहन जांच में कौन-कौन जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी इसके जद में आते हैं।

बड़ा सवाल

जिले के कई विकास खंडों में जिस तरह से कार्यों के नाम पर करोड़ों रुपये का फर्जी भुगतान हुआ है, उससे प्रशासनिक निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। ग्राम पंचायतों में कार्य स्वीकृति और वास्तविक भुगतान के बीच कई गुना अंतर यह दर्शाता है कि मनरेगा जैसे गरीबों के लिए बनी योजना को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया।

फिलहाल, जिला प्रशासन की इस कार्रवाई को बड़े घोटाले के खिलाफ शुरुआती कदम माना जा रहा है। लेकिन जांच का दायरा बढ़ने पर कई और अधिकारी और कर्मचारियों की भूमिका भी उजागर हो सकती है।

 

👉 यह खबर बताती है कि महराजगंज जिले में मनरेगा योजना की आड़ में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। अब देखना यह है कि जांच के बाद कितने बड़े अधिकारियों पर गाज गिरती है और क्या गरीबों के हक की धनराशि वापस मिल पाती है।

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