मनरेगा में बड़ा फर्जीवाड़ा! रोजगार डिमांड में एक ही व्यक्ति के अंगूठे से बने दर्जनों नाम, करोड़ों की धनराशि पर सवाल

मनरेगा में बड़ा फर्जीवाड़ा! रोजगार डिमांड में एक ही व्यक्ति के अंगूठे से बने दर्जनों नाम, करोड़ों की धनराशि पर सवाल

प्रधानमंत्री ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में फर्जी जॉब कार्ड और मस्टर रोल के जरिए किया जा रहा खेल, परतावल ब्लॉक के बलुआ ग्राम पंचायत में खुला बड़ा घोटाला

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महराजगंज।
जनपद महराजगंज के विकास खंड परतावल के ग्राम पंचायत बलुआ में प्रधानमंत्री ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। जांच में खुलासा हुआ है कि रोजगार डिमांड रजिस्टर और जॉब कार्ड में एक ही व्यक्ति का अंगूठा लगाकर कई लोगों के नाम दर्ज किए गए हैं। यह पूरा प्रकरण ग्राम पंचायत बलुआ और संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत का संकेत दे रहा है।

सूत्रों के अनुसार, ग्राम पंचायत बलुआ के रोजगार मांग प्रपत्र (जॉब डिमांड फॉर्म) में दर्ज रामकवल, रामकेवल, सोबराती, लाइची, समसुद्दीन, बबलू, साबिर अली, राजाराम, अमीन, जाकरुद्दीन जैसे नामों के आगे एक ही व्यक्ति के अंगूठे के निशान पाए गए हैं। इन सबके जॉब कार्ड नंबर अलग-अलग दिखाए गए हैं, लेकिन हस्ताक्षर या अंगूठा समान है। यह भी उल्लेखनीय है कि इन सभी के नाम पर 24 जुलाई 2024 से 5 अगस्त 2025 तक के लिए रोजगार मांगा गया है — जो स्वयं में एक संदिग्ध बात है।

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जानकारी के अनुसार, ग्राम प्रधान और ग्राम रोजगार सेवक द्वारा मनरेगा के तहत “समशेर के खेत से कतोपुल्लाह के खेत तक मिट्टी कार्य” (आईडी नंबर – 3152010033/40/95.2486755824749586) को स्वीकृत दिखाया गया।
इस कार्य पर ₹1,24,257 की स्वीकृत राशि दिखाई गई, जिसमें अकुशल श्रमांश ₹1,15,577 और अर्द्धकुशल श्रमांश ₹5,180 का उल्लेख है। मगर जमीनी स्तर पर जब जांच हुई तो पाया गया कि अधिकांश श्रमिकों ने कार्य किया ही नहीं था। कई ऐसे नाम सामने आए जो वर्षों से गांव में नहीं रहते, फिर भी उनके नाम पर भुगतान दिखाया गया है।

मस्टर रोल और बाउचर भुगतान के लिए तैयार की गई सूची में भी भारी गड़बड़ी देखी गई। एक ही व्यक्ति के हस्ताक्षर से सैकड़ों दिनों का रोजगार दर्ज कर दिया गया और उसे सरकारी पोर्टल पर अपलोड कर दिया गया।
सूत्र बताते हैं कि इस फर्जीवाड़े में ग्राम रोजगार सेवक, पंचायत सचिव और कुछ उच्च स्तर के कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं।

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ग्राम प्रधान, सचिव और मनरेगा विभाग के कर्मियों ने मिलकर न सिर्फ सरकारी धन का दुरुपयोग किया बल्कि गरीब मजदूरों के अधिकारों पर भी डाका डाला। जब यह बात सामने आई कि “फर्जी डिमांड” ही बनाई गई है, तो सवाल उठना लाजमी है कि जब मजदूर असली नहीं हैं, तो कार्य कैसे “पूरा” दिखाया गया?

वहीं स्थानीय ग्रामीणों ने इस पूरे मामले की जांच की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार गरीबों के रोजगार के लिए करोड़ों रुपये खर्च करती है, लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों और पंचायत कर्मियों की मिलीभगत से गरीबों तक वह लाभ नहीं पहुंचता।

ग्रामीणों ने जिलाधिकारी महराजगंज और मुख्य विकास अधिकारी से आग्रह किया है कि ग्राम पंचायत बलुआ और विकास खंड परतावल में हुए इस मनरेगा घोटाले की उच्चस्तरीय जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की फर्जीवाड़ा प्रवृत्ति पर रोक लगाई जा सके।

 

(रिपोर्ट – मनोज तिवारी)
महराजगंज संवाददाता

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