सदर ब्लॉक का छद्म रहनुमा — करोड़ों के घोटालों में आरोपी, फिर भी बना ‘भ्रष्टाचार का संरक्षक’

महराजगंज
जनपद महराजगंज में भ्रष्टाचार के कई बड़े मामलों की जांच और कार्रवाई वर्षों से ठंडे बस्ते में पड़ी है, लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि उन्हीं मामलों में आरोपित एक व्यक्ति आज सदर ब्लॉक का अनौपचारिक रहनुमा बना घूम रहा है। यह व्यक्ति, जिस पर लाखों नहीं बल्कि करोड़ों रुपयों के गमन का आरोप है, न केवल आज़ाद घूम रहा है बल्कि ब्लॉक के अधिकांश सरकारी कार्यों में उसकी भूमिका और प्रभाव खुलकर देखा जा रहा है।

स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि “यह आरोपी अब सदर ब्लॉक में भ्रष्टाचार का ‘संरक्षक’ बन चुका है।”

चेहरी ग्राम पंचायत में करोड़ों के गमन का आरोपी—अब ब्लॉक का अनौपचारिक ‘निर्देशक’

वित्तीय वर्ष 2022-23 में ग्राम पंचायत चेहरी में स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, पंचायत भवन और अन्य सार्वजनिक निर्माण कार्यों के नाम पर लगभग
₹1,02,42,402 का व्यय दिखाया गया।
लेकिन

जिला पंचायतराज अधिकारी कार्यालय की जांच

निरीक्षण रिपोर्ट

और फील्ड वेरिफिकेशन

से यह साफ हो चुका है कि अधिकांश कार्य कागज़ों में ही पूरे कर दिए गए थे।

इन अनियमितताओं में तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी राजेश कुमार सिंह (राजू) एवं संबंधित खण्ड विकास अधिकारी की भूमिका प्रमुख मानी गयी। रिपोर्ट में इन अनियमितताओं की पुष्टि होने के बावजूद —

न तत्काल निलंबन,

न वसूली,

न कोई कठोर दंडात्मक कार्रवाई।

उल्टा, आरोप यह है कि इसी प्रकरण का एक प्रमुख आरोपी अपनी पकड़ और प्रभाव का उपयोग करते हुए सदर ब्लॉक में “सब कुछ निर्देशित” कर रहा है — जैसे किसी समानांतर सत्ता का संचालन कर रहा हो।

 

कैसे बचा आरोपी?—‘पहुंच’ और ‘तंत्र’ का गठजोड़

स्थानीय सूत्र बताते हैं कि यह व्यक्ति

अधिकारियों से नज़दीकियों,

सिफारिशों के जाल,

और विभागीय ‘तेल-मालिश तंत्र’
के दम पर न केवल खुद को बचा चुका है, बल्कि ब्लॉक में होने वाले अधिकतर मनरेगा व पंचायत कार्यों पर भी प्रभाव डाल रहा है।

एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा—

> “यह व्यक्ति बिना पद के भी अधिकारी जैसा प्रभाव रखता है। नए अधिकारी आते ही उससे ‘मार्गदर्शन’ लेने पहुँचते हैं।”

 

सदर ब्लॉक में भ्रष्टाचार का अड्डा—जांचों को कमजोर करने के आरोप

सदर ब्लॉक में कई प्रकरणों में सरकारी धन के दुरुपयोग की शिकायतें वर्षों से लंबित हैं।
लेकिन दसों उंगलियाँ उसी दिशा में उठती हैं —
जहां यह आरोपी व्यक्ति बैठता-पैठता है।

आरोप है कि:

जांच रिपोर्टों को प्रभावित किया गया,

कार्रवाई की गति जानबूझकर धीमी रखी गयी,

और गहन जांच के प्रकरणों को आपसी सांठगांठ से हल्का बना दिया गया।

जनता का कहना है कि सदर ब्लॉक में लेन-देन का “सिंडिकेट” सक्रिय है और उसका केंद्र यही आरोपी है।

 

“जिसने करोड़ों खाए, वही ब्लॉक का रहनुमा”—स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया

ग्राम पंचायतों में घूमते हुए लोगों की एक ही प्रतिक्रिया सामने आती है—

> “यहां अपराधी नहीं बचते, भ्रष्ट लोग बच जाते हैं… और पहले से भी ज्यादा ताकतवर हो जाते हैं।”

 

सदर ब्लॉक में यही स्थिति है।
जिस व्यक्ति को जनता घोटालों का केंद्र मानती है, वह आज ब्लॉक के अधिकारियों के साथ बैठकों में, निरीक्षणों में, और निर्णयों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहा है।

 

क्या शासन ध्यान देगा?—उच्च स्तरीय जांच की मांग तेज

बढ़ती शिकायतों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के दबाव के बाद अब मांग तेज हो गयी है कि—

✔ चेहरी ग्राम पंचायत सहित सदर ब्लॉक के सभी करोड़ों के घोटालों की

CBI / विजिलेंस / आर्थिक अपराध शाखा द्वारा निष्पक्ष जांच कराई जाए।

✔ जिन अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है, उन्हें वर्तमान पदों से हटाया जाए।

✔ आरोपी को संरक्षण देने वाले तंत्र की भी जांच की जाए।

जनता का स्पष्ट संदेश है—
“करोड़ों का भ्रष्टाचार दबाया नहीं जा सकता, कार्रवाई ही होगी तो जनता का भरोसा बचेगा।”

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