महराजगंज में तेंदुए का आतंक: चार लोग घायल, वन विभाग ने शुरू किया रेस्क्यू ऑपरेशन

गांव के खेतों में छुपे तेंदुए ने किया हमला, ग्रामीणों में दहशत
महराजगंज। यूपी के महराजगंज जनपद में वन्य जीवों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। निचलौल क्षेत्र के भारत-नेपाल सीमा से सटे कनमिसवा गांव में शुक्रवार सुबह एक तेंदुए ने हमला कर चार लोगों को घायल कर दिया। अचानक हुए इस हमले से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर तेंदुए को पकड़ने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है।
खेत में छुपे तेंदुए ने मचाया आतंक

घटना सुबह तब हुई जब गांव का एक किशोर खेत में पानी देने जा रहा था। जैसे ही वह खेत के करीब पहुंचा, पहले से घात लगाए बैठे तेंदुए ने अचानक उस पर हमला कर दिया। किशोर के चिल्लाने की आवाज सुनकर पास के खेतों में काम कर रहे लोग दौड़े और उसे बचाने की कोशिश करने लगे। लेकिन तेंदुआ और हिंसक हो गया और उसने चार अन्य युवकों को घायल कर दिया। हमले के बाद तेंदुआ फिर से गेहूं के खेतों में जाकर छिप गया।
घायलों का इलाज जारी, गांव में दहशत का माहौल
ग्रामीणों ने तुरंत सभी घायलों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, निचलौल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों की टीम उनका इलाज कर रही है। घायलों की हालत स्थिर बताई जा रही है, लेकिन तेंदुए के हमले से गांव में भय और तनाव का माहौल बना हुआ है।
वन विभाग की टीम कर रही रेस्क्यू ऑपरेशन
घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई। डीएफओ निरंजन सुर्वे ने बताया कि तेंदुए को खेतों में ड्रोन कैमरे से ट्रैक किया गया है। वन विभाग की टीम उसे पकड़ने के लिए पटाखे फोड़कर और जाल बिछाकर रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है।
बढ़ती घटनाओं से ग्रामीणों में रोष
यह कोई पहली घटना नहीं है जब तेंदुए ने ग्रामीणों पर हमला किया हो। पिछले कुछ महीनों में जंगलों के आसपास के गांवों में जंगली जानवरों के हमले बढ़ गए हैं। किसान पहले से ही नीलगाय और जंगली सूअरों द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचाने की समस्या से जूझ रहे हैं, अब तेंदुओं के हमले ने उनकी चिंता और बढ़ा दी है।
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि वन विभाग तेंदुओं को जंगलों में सुरक्षित रूप से पहुंचाने के लिए ठोस कदम उठाए। साथ ही, उन्होंने सुरक्षा के उपाय किए जाने की भी मांग की है, ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
क्या कहता है वन्य जीव अधिनियम?
भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 26(A) के तहत संरक्षित वन क्षेत्रों में आम नागरिकों की गतिविधियों पर कई प्रतिबंध लगाए गए हैं। हालांकि, इस अधिनियम के बावजूद ग्रामीण इलाकों में वन्य जीवों का खतरा लगातार बढ़ रहा है, जिससे स्थानीय लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
प्रशासन और सरकार से समाधान की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि वन्य जीवों के हमले से बचाव के लिए सरकार को कोई स्थायी समाधान निकालना चाहिए। वन्य जीवों की बढ़ती संख्या और उनके रहवास में आ रही कमी के कारण ये हमले बढ़ रहे हैं। वन विभाग को जंगलों के चारों ओर मजबूत बाड़ लगाने, प्रभावित इलाकों में कैमरे लगाने और वन्य जीवों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने जैसे ठोस कदम उठाने चाहिए।